भरतनाट्यम नृत्य
भरतनाट्यम् नृत्य को एकहार्य के रूप में भी जाना जाता है, जहां नर्तकी एकल प्रस्तुति में अनेक भूमिकाएं करती है, यह कहा जाता है कि 19वीं सदी के आरम्भ में, राजा सरफोजी के संरक्षण के तहत् तंजौर के प्रसिद्ध चार भाईयों ने भरतनाट्यम् के उस रंगपटल का निर्माण किया था, जो हमें आज दिखाई देता है ।
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संगीत से क्या तात्पर्य है
संगीत/म्यूजिक सर्वश्रेष्ठ ललित कला है. इसके अन्तर्गत गायन, वादन और नृत्य तीनों कलाओं का समावेश है. मगर कुछ लोग सिर्फ गायन को ही संगीत कहते हैं जोकि उचित नही है. भारतीय संगीत में गायन संगीत का एक अंग है जो वादन और नृत्य की अपेक्षा अधिक महत्व रखता है.
गायन, वादन तथा नृत्य स्वर और लय पर आधारित है. गायन, वादन में स्वर की और नृत्य में लय की प्रधानता रहती है.
मुरिया नृत्य
मुरिया नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करने वाली मुरिया जनजाति द्वारा किया जाता है। मुरिया लोगों के मुख्य पर्व और त्योहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के कला रूपों में मुख्य रूप से गीत नृत्य शामिल हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य के साथ-साथ नृत्य गीत में भी पारंगत होता है। अधिकतर नृत्य गीत किसी न किसी रीति-रिवाज या मान्यताओं से जुड़े होते हैं। मुरिया जाति को 'घोटुल' के कारण भी जाना जाता है। घोटुल मुरिया युवकों की एक संगठन व्यवस्था का नाम है।
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रउफ नृत्य
यह जम्मू एवं कश्मीर राज्य में सबसे प्रसिद्ध लोक-नृत्य है, जिसका आयोजन फ़सलों की कटाई हो जाने के पश्चात् स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।