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Song: Holi aayee re Kanhaai rang chalke Film: Mother India (1957) Lyrics: Shakeel Badayuni Music: Naushad Ali Singer: Shamshad Begum Raag: Raag Pilu (Thaat Kaafi) Keharva taal (8 beats) Voice and Tutorial by: Sanchita Pandey * You are welcome to contribute for the growth of your favourite Youtube channel. Press on the LINK given below and choose your own method of payment! https://rzp.io/l/SanchitaPandey *Follow me on Instagram: https://www.instagram.com/singersanchita/ *WEBSITE: https://inner-universe.wixsite.com/sanchitapandey E-mail: [email protected] * Check out my second channel on YouTube: INNER UNIVERSE COMMUNITY https://youtube.com/c/InnerUniverseCommunity * Books by Sanchita Pandey are available on Amazon: https://www.amazon.in/s?k=sanchita+pandey&ref=nb_sb_noss #SanchitaPandey #InnerUniverseCommunity #raagpilu #holisong #shamshadbegum #happyholi #holifestival #holi #musiclessons #MusicTutorial

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राग

संबंधित राग परिचय

पीलू

पीलू

प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा - यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है। इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है। इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।

यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
आरोह अवरोह
ऩिसागमपनि - सांनि॒धपग॒ रेसा
वादी स्वर
ग॒
संवादी स्वर
नि

राग

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 23:21

राग पीलू का परिचय
वादी: ग॒
संवादी: नि
थाट: KAFI
आरोह: ऩिसागमपनि
अवरोह: सांनि॒धपग॒ रेसा
पकड़: ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: दिन का तृतीय प्रहर
विशेष: सप्तक के बारहो स्वरों का प्रयोग होता है। उभय ऋषभ गन्धार निषाद का उपयोग।