बीन

बीन बजाता हुआ एक संपेरा बीन बीन या पुंगी एक वायु प्रवाह से काम करने वाला वाद्य यन्त्र है। भारतीय उपमहाद्वीप में संपेरे मुख्यतः इस आद्य यन्त्र को बजाते हैं। 

बाँसुरी

बाँसुरी वाद्य क्या है ?
भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्‍त्र में ध्‍वनि की उत्‍पत्ति के आधार पर संगीत वाद्यों को चार मुख्‍य वर्गों में विभाजित किया गया है।

​बाँसुरी वाद्य सुषिर वाद्य परिवार का एक सदस्य है ।जिसका अर्थ है बाँस से निर्मित एक सुषिर वाद्य । 

आज उतर भारतीय संगीत में बांस से निर्मित बांसुरी एक अति

महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है और यह वाद्य यंत्र हिंदू धर्म से बड़ा गहरा रिश्ता

पखावज

पखावज एक वाद्ययंत्र है। यह उत्तर-भारतीय शैली का ढ़ोलक (ड्रम) है। यह मृदंग के आकार प्रकार का परन्तु उससे कुछ छोटा एक प्रकार का बाजा है। तबले की उत्पत्ति इसी यंत्र से हुई है। कहा जाता है कि अमीर खुसरो पखावज बजारहे थे। उसी समय यह दो टुकड़ों में टूट गया। तब उन्होने इन टुकड़ों को बजाने की कोशिश की जो कि काम कर गया। इस प्रकार तबले का जन्म हुआ। .

पखावज वादक भारतीय वाद्यों में से एक पखावज बजाने वाले को कहा जाता है। पखावज उत्तरी भारत का एक थाप यंत्र है। मृदंग, पखावज और खोल लगभग समान संरचना वाले वाद्य यंत्र हैं।

ढोली

गांवों में ब्याह शादी और अन्य अवसरों पर ढोल बजा कर आजीविका कमाने वाली राजस्थान की जाति है।.

तानपूरा

तानपूरा अथवा ""तम्बूरा"" भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। तानपूरे में चार तार होते हैं सितार के आकार का पर उससे कुछ बड़ा एक प्रसिद्ध बाजा जिसका उपयोग बड़े बड़े गवैये गाने के समय स्वर का सहारा लेने के लिए करते हैं।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

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