International Dance Day 2020

International Dance Day was created by the Dance Committee of the International Theatre Institute, partner for the performing arts of United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO). It was created in 1982.

 

Significance of International Dance Day

This day is celebrated to give value to this art. International Dance Day is wake-up-call for governments, politicians, and institutions, society to realize its potential for economic growth.

गिद्दा

गिद्दा पंजाब में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्‍य है। यह एक खुशनुमा नृत्‍य है, जिसमें एक गोले में बोलियाँ गाई जाती हैं तथा तालियाँ बजाई जाती हैं। दो प्रतिभागी घेरे से निकलकर समर्पण भाव से सस्‍वर बोली सुनाती हैं व अभिनय करती हैं जबकि शेष समूह में गाती हैं। यह पुनरावृत्ति 3-4 बार होती है। प्रत्‍येक बार दूसरी टोली होती है, जो एक नई बोली से शुरुआत करती है।

भरतनाट्यम (संगीत प्रवेशिका) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. एक से आठ अणु तथा उनका पद संचालन, ठाह तथा दुगुन लय में व्यक्त करना।
2. 10 असंयुक्त मुद्रा दिखाने की योग्यता।
3. तिस्त्रम्, रूपकम् तथा आदि ताल को हाथ से ताली देकर दिखाना।

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में 2 कठिन ततकार हस्तकों सहित, दो नये थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 कठिन तोड़े, एक परन तथा एक चक्करदार परन। ततकार को पैर से ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयों में निकालना तथा हाथ से ताली देकर बोलने का अभ्यास।
2. झपताल में दो तत्कार - पलटों और हस्तकों सहित, एक चक्करदार तोड़ा, 2 कठिन तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
3. एकताल में दो थाट, एक सलामी, एक आमद, चार ततकार हस्तक सहित, 4 तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
4. सूलताल में दो ततकार तथा दो तोड़े।
5. तीनताल में दो घूंघट का गतभाव।

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषा - परन, चक्करदार परन, मुष्टि, पताका, त्रिपताका, मुकुटकरण, रेचक, अंगहार, उपांग, पलटा, ध्वनि की उत्पत्ति, कम्पन, आंदोलन, नाद की विशेषताएँ, नाद स्थान, स्वर, चल और अचल स्वर, शुद्ध तथा विकृत स्वर, सप्तक और सप्तक के प्रकार।
2. लखनऊ और जयपुर घरानों का संक्षिप्त इतिहास।
3. अच्छन महाराज तथा जयलाल जी का जीवन परिचय।
4. भातखंडे तथा विष्णु दिगम्बर ताल पद्धति का ज्ञान।
5. तीवरा, चारताल, आड़ा चारताल तथा धमार का पूर्ण परिचय।
6. भारतीय संगीत में नृत्य का स्थान।
7. तबला तथा पखावज का पूर्ण परिचय।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय