ജഗ്ജിത് സിംഗ്

जगजीत जी का जन्म 8 फ़रवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे। जगजीत जी का परिवार मूलतः पंजाब के रोपड़ ज़िले के दल्ला गाँव का रहने वाला है। माँ बच्चन कौर पंजाब के ही समरल्ला के उट्टालन गाँव की रहने वाली थीं। जगजीत का बचपन का नाम जीत था। करोड़ों सुनने वालों के चलते सिंह साहब कुछ ही दशकों में जग को जीतने वाले जगजीत बन गए।

शिक्षा

शुरुआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और बाद पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया।

ബാദൽ സർക്കാർ

बादल सरकार,  अभिनेता, नाटककार, निर्देशक और इन सबके अतिरिक्त रंगमंच के सिद्धांतकार थे। वह भारत के बहुचर्चि‍त नाटककारों में एक थे।

शुभा मुदगल

Shubha Mudgal (born 1 January 1959) is an Indian singer of Hindustani classical music. Her repertoire includes the genres of khyal, thumri, dadra, and Indian pop. She has received the Padma Shri in 2000.

Early life
Shubha was born in Allahabad into an academic family.[2][3][4] Her parents, Skand Gupta and Jaya Gupta, were both professors of English literature at Allahabad University, and both of them had a deep interest in Hindustani classical music and kathak.[5][6] Shubha's paternal grandfather, P. C. Gupta, had also been a professor at Allahabad University.

സുമതി മുതത്കർ

Sumati Mutatkar (10 September 1916 – 28 February 2007) was an Indian classical music vocalist and musicologist from the Agra gharana of Hindustani classical music, and a Professor of Department of Music in University of Delhi.

She was awarded the highest award of the Sangeet Natak Akademi, India's National Academy for Music, Dance and Drama, for lifetime achievement, the 1979 Sangeet Natak Akademi Fellowship[2] and the Padma Shri in 1999, by Government of India.She was also awarded the Kalidas Samman by the Government of Madhya Pradesh in 2001-2002.

രമേഷ് ലക്ഷ്മൺ നദ്കർണി

Ramesh Laxman Nadkarni (1921–1995) was a Hindustani classical music singer from Jogeshwari. Nadkarni a disciple of Aman Ali Khan had composed over 250 melodies and Ragas. He was honored for his dedicated lifelong service to classical music and was awarded a fellowship by Sursingar Sansad, Mumbai. He was part of BHENDI BAZAR GHARANA.

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय