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प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

1. प्रथम से षष्टम वर्ष के सभी पाठ्यक्रम में दिये गये सभी क्रियात्मक संगीत सम्बन्धित शास्त्र का विस्तृत एवं आलोचनात्मक अध्ययन।
2. पाठ्यक्रम के सभी रागों का विस्तृत, आलोचनात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन। रागों में न्यास के स्वर, अलपत्व.बहुत्व के स्वर, विवादी स्वर और इनका प्रयोग, आविर्भाव.तिरोभाव का प्रदर्शन, समप्रकृतिक रागों की तुलना, रागों में अन्य रागों की छाया आदि विषय के सम्बन्ध में विस्तृत ज्ञान। विगत वर्ष के सभी रागों का पूर्ण ज्ञान होना अनिवार्य है।
3. भारतीय वाद्यों का वर्गीकरण, प्राचीन मध्यकालीन तथा आधुनिक तन्त्र वाद्यों का परिचय। वाद्यों द्वारा उत्पन्न होने वाले स्वयंभू स्वरों का यथेष्ट ज्ञान।
4. गायन अथवा तन्त्र वाद्यों की गायन अथवा वादन शैलियों के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत, आलोचनात्मक तथा तुलनात्मक अध्ययन।
5. पाश्चात्य लिपि पद्धतियाँ जैसे सोलफा पद्धति, चीवह पद्वति, न्यूम्स पद्धति तथा स्टाफ नोटेशन पद्धति का विशेष, आलोचनात्मक तथा तुलनात्मक ज्ञान। कॉर्डस  एवं इसका प्रयोग। पाश्चात्य लिपि पद्धति के गुण और दोष।
6. गायन के विभिन्न घरानों का जन्म, इतिहास, उनका विकास तथा इनकी वंश पंरपराओं का पूर्ण ज्ञान। उनकी गायन शैलियों का परिचय, उनकी विशेषताओं का विस्तृत, आलोचनात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन।
7. देश में प्रचलित लिपि पद्धतियों का विस्तृत, आलोचनात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन। भारतीय संगीत के भावी विकास सम्बन्धित सुझाव तथा इस दृष्टिकोण से लिपि पद्धति की समीक्षात्मक अध्ययन।
8. विभिन्न प्रकार के गीतों तथा उनकी गायकी को विभिन्न लयकारियों में लिखने का पूर्ण ज्ञान।
9. बीसवीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध गायक अथवा तंत्र वादकों की जीवनियाँ, संगीत में उनका योगदान तथा उनकी शैलियों की विशेषताओं का विशेष अध्ययन।
10. तानसेन और उनके वंशज तथा सैनी घराने की शिष्य परम्परा की पूर्ण जानकारी। इस घराने के गायकों या वादकों की गायन या वादन शैलियों का विस्तृत अध्ययन।
11. पिछले सभी वर्षों के पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी तालों का पूर्ण ज्ञान तथा उन्हें विभिन्न प्रकार की कठिन लयकारियों में लिपिबद्ध करने का ज्ञान।
12. क्रियात्मक संगीत सम्बन्धी विषयों पर लेख लिखने की पूर्ण क्षमता।

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