संगीत प्रभाकर (VI Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
1. अबतक के सभी तालों में नृत्य प्रदर्शन की विशेष क्षमता। अंगचारी मंडल तथा इस मुद्राओं में विशेष सौष्ठव।
2. अर्जुनताल, गणेशताल, सरस्वतीताल, रूद्रताल और सवारीताल (15 तथा 16 मात्राओं की) में से किन्हीं तीन तालों में नृत्य करने की क्षमता।
3. नेत्र, भू, कंठ, कटि, चरण तथा हस्त आदि अंगों के समुचित संचालन की क्षमता।
4. दिये गये कथानकों में कत्थकशैली में नृत्य करने की क्षमता। जयपुर और लखनऊ घरानों के नृत्यों का प्रदर्शन करके अन्तर बताना।
5. कुछ तबला पखावज के बोल, तोड़ा, टुकड़ा परन आदि का अभ्यास।
6. पीलू झिंझोटी, गारा, बसंत तथा बहार में एक.एक स्वरमालिका अथवा छोटा खयाल का अभ्यास। होरी, चैती, कजरी, गजल, तराना भजन इन गायन शैलियों में से किन्हीं दो में गाकर भाव दिखाने का अभ्यास।
7. मारीच वध, मदन रहन, द्रोपदी चीर हरण, मिलनी भक्ति, पनघट की छेड़छाड़, लक्ष्मन शक्ति, त्रिपुरासुर वध, वामन अवतार, अहिल्या उद्धार, सती अनसुइया, कालिया दमन, इन कथानकों में से किन्हीं पांच पर गत भाव दिखाने का अभ्यास।
महाविद्यालय
Paper
पाठ्यक्रम विषय
- 54 views