सुरों को मैं माँ को अर्पित
जिस प्रकार सा जनक हैं सारे सुरों का ,साम गान जनक हैं शास्त्रीय संगीत का जिसके जैसा संगीत सारे संसार में कही नही हैं .साम वेद और चारो वेद अलौकिक और दुर्लभ हैं.
संस्कृत भी वह भाषा हैं जो सारी भाषाओ की जननी हैं .
दूसरा स्वर हैं ऋषभ,अर्थात रे,राग व् रस से परिपूर्ण कलाओ से समृध्ध हैं माँ तेरा आँचल,कही नही वह ६४ कलाए माँ तेरे आँगन में सुंदर बालको सी रात - दिवस खेल रही हैं ,अपनी सुंदर उपस्तिथि से तेरे रूप वैभव को द्विगुणित कर रही हैं.
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সাম থেকে উপজা সঙ্গীত
পৃথিবীর কোন প্রাণী নেই বলে গানে প্রেম না হয়,যেসে সুরেলে গান শুনতে পছন্দ না হয়,সত স্বর,স্বর্গীয় আনন্দে না डुबो देती हो,कह्ह्ह मुग़ल शासक औरंगजेब संगीत से घृणा था,संगीतकारों को दंड देना কথা,কহানি এখানে আছে কি, সে সময় সঙ্গীতকারদের এক বার অর্থী জুলুস নিষ্কাশন,জব রাজ অধিকারও তাকে উত্তর দিয়েছিল যে তার অর্থ কিসকি এবং এর অর্থ পুরে শহরে জুলুস বেরনে কি অভিপ্রায়? , "এটির অর্থ সঙ্গীত কি, এবং আমরা তাই জুলুস খুঁজে বের করতে পারি এবং আরঙ্গজেবকে এটি খুঁজে বের করতে পারে যে তার রাজ্যে সঙ্গীত কি দশা হয়েছে৷ ।
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ওহ মাই গড দিস ইজ সো স্ক্যারি - ইউনিক ইউনিক ইউনিক
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শাস্ত্রীয় সঙ্গীতে উৎসাহ পেলাম-জসরাজ
পন্ডিত জসরাজ, যিনি আগামীকাল তার জীবনের 78 বছর পূর্ণ করতে চলেছেন, এক একান্ত সাক্ষাৎকারে বলেছেন যে তিনি শাস্ত্রীয় সঙ্গীতের ভবিষ্যত নিয়ে উচ্ছ্বসিত। তিনি বলেন, ইন্ডিয়ান আইডল, সারেগামার মতো টিভি রিয়েলিটি-শোর কারণে শাস্ত্রীয় সংগীতের প্রতি তরুণ প্রজন্মের আগ্রহ বাড়ছে।
জাসরাজের মতে, যদি একটি শাস্ত্রীয় সঙ্গীতের অনুষ্ঠানে এক হাজারের বেশি শ্রোতা আসে তবে এটি একটি অত্যন্ত সফল অনুষ্ঠান হিসাবে বিবেচিত হয়, তবে এই রিয়েলিটি শোগুলিতে মাত্র দশ হাজার দর্শক থাকে এবং লক্ষ লক্ষ মানুষ এটি টিভির মাধ্যমে দেখেন। এটা একটা উৎসাহব্যঞ্জক ব্যাপার।
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ভারত সঙ্গীতকে অনেক উচ্চতা দিয়েছে
भारत ने संगीत को बहुत ऊंचाई दी है. यहाँ संगीत और उसके वाद्य यंत्रो को महज मनोरंजन तक सीमित नहीं रखा गया बल्कि उसे मंदिर और मठ से होते हुए विज्ञान की प्रयोगशाला तक ले जाया गया.
जयपुर के अब्दुल अजीज को संगीत की तालीम विरासत में मिली है. लेकिन उन्होंने अपना समय वाद्य यंत्रो के संरक्षण और संग्रह को समर्पित कर दिया.
अजीज का घर नायाब वाद्य यंत्रो से पटा पड़ा है.
उनके पास कोई 600 से ज्यादा साज है. इनमें बौद्धकाल से लेकर मुगल और राजपूत राजाओं के समय के साज शामिल है. अजीज खोज-खोज कर वाद्य यंत्रो का संग्रह करते रहते हैं.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।