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वृन्दावनी सारंग
वृन्दावनी सारंग
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:35
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
समप्रकृति राग
न्यास के स्वर
सा, रे, प
पकड़
रे म प नि प, म रे, ऩि सा
आरोह अवरोह
ऩि सा रे म प नि सां - सां नि प म रे सा
वादी स्वर
रे
संवादी स्वर
प
Tags
राग
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वृंदावनी राग की पकड़ क्या है ?
पकड :- .नि सा रे म रे , प म रे .नि सा ।
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वृंदावनी राग का थाट कौन सा है ?
काफी थाट
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वृंदावनी राग की जाति क्या है ?
जाति :- औडव – औडव (5,5 )
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वृंदावनी राग का गायन समय कौन सा है ?
गायन समय – मध्यान काल
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संबंधित राग परिचय
वृन्दावनी सारंग
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:35
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
समप्रकृति राग
न्यास के स्वर
सा, रे, प
पकड़
रे म प नि प, म रे, ऩि सा
आरोह अवरोह
ऩि सा रे म प नि सां - सां नि प म रे सा
वादी स्वर
रे
संवादी स्वर
प
Tags
राग
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राग वृन्दावनी सारंग का परिचय
राग वृन्दावनी सारंग का परिचय
वर्ज्य करे धैवत गंधार, गावत काफी अंग |
दो निषाद रे प संवाद, है वृन्दावनी सारंग ||
थाट - काफी जाति - औडव औडव
वादी - रे संवादी - प
आरोह - ऩि सा रे म प नि सां
अवरोह - सां नि प म रे सा
पकड़ - रे म प नि प, म रे, ऩि सा
समय - मध्यान्ह काल
न्यास के स्वर - सा, रे, प
सम्प्रकृति राग - सूर मल्हार
मतभेद - स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य माना जा सकता है, किन्तु स्वरुप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना सर्वथा उचित है.
विशेषता
- इसके अतिरिक्त सारंग के अन्य प्रकार हैं - शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग, बड़हंस की सारंग, सामंत सारंग
- इसके आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है.
- ऐसा कहा जाता है की इस राग की रचना वृन्दावन में प्रचलित एक लोकगीत पर आधारित है.
- इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल और तराना आदि गाये जाते हैं.
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वृंदावनी राग की पकड़ क्या है ?
पकड :- .नि सा रे म रे , प म रे .नि सा ।
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वृंदावनी राग का थाट कौन सा है ?
काफी थाट
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वृंदावनी राग की जाति क्या है ?
जाति :- औडव – औडव (5,5 )
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वृंदावनी राग का गायन समय कौन सा है ?
गायन समय – मध्यान काल
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राग वृन्दावनी सारंग का परिचय
राग वृन्दावनी सारंग का परिचय
वर्ज्य करे धैवत गंधार, गावत काफी अंग |
दो निषाद रे प संवाद, है वृन्दावनी सारंग ||
थाट - काफी जाति - औडव औडव
वादी - रे संवादी - प
आरोह - ऩि सा रे म प नि सां
अवरोह - सां नि प म रे सा
पकड़ - रे म प नि प, म रे, ऩि सा
समय - मध्यान्ह काल
न्यास के स्वर - सा, रे, प
सम्प्रकृति राग - सूर मल्हार
मतभेद - स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य माना जा सकता है, किन्तु स्वरुप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना सर्वथा उचित है.
विशेषता