Skip to main content

वृन्दावनी सारंग

राग वृंदावन सारंग - बी. शिवरामकृष्ण राव

 

A Rendition of Classical Instrumental Fusion Music | Raag Bihag | Indian Classical Music - B. Sivaramakrishna Rao - Healing Ragas
 


शास्त्रीय वाद्य संगीत का एक गायन | राग बिहाग | भारतीय शास्त्रीय संगीत - बी शिवरामकृष्ण राव - हीलिंग राग

संबंधित राग परिचय

वृन्दावनी सारंग

थाट

राग जाति

समप्रकृति राग

न्यास के स्वर
सा, रे, प
पकड़
रे म प नि प, म रे, ऩि सा
आरोह अवरोह
ऩि सा रे म प नि सां - सां नि प म रे सा
वादी स्वर
रे
संवादी स्वर

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 22:50

 

राग वृन्दावनी सारंग का परिचय

वर्ज्य करे धैवत गंधार, गावत काफी अंग |
दो निषाद रे प संवाद, है वृन्दावनी सारंग ||

थाट - काफी                     जाति - औडव औडव
वादी - रे                           संवादी - प
आरोह - ऩि सा रे म प नि सां                                 

अवरोह - सां नि प म रे सा
पकड़ - रे म प नि प, म रे, ऩि सा
समय - मध्यान्ह काल

न्यास के स्वर - सा, रे, प
सम्प्रकृति राग - सूर मल्हार

मतभेद - स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य माना जा सकता है, किन्तु स्वरुप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना सर्वथा उचित है.

विशेषता
 

  1. इसके अतिरिक्त सारंग के अन्य प्रकार हैं - शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग, बड़हंस की सारंग, सामंत सारंग
  2. इसके आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है.
  3. ऐसा कहा जाता है की इस राग की रचना वृन्दावन में प्रचलित एक लोकगीत पर आधारित है.
  4. इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल और तराना आदि गाये जाते हैं.