जाति
राग विवरण मे सुनते है अमुक राग अमुक जाति का है। "जाति" शब्द राग मे प्रयोग किये जाने वाले स्वरों की संख्या का बोध कराती है । रागों मे जातियां उनके आरोह तथा अवरोह मे प्रयोग होने वाले स्वरों की संख्या पर निर्धारित होती है।
दामोदर पंडित द्वारा रचित संगीत दर्पण मे कहा गया है……
ओडव: पंचभि:प्रोक्त: स्वरै: षडभिश्च षाडवा।
सम्पूर्ण सप्तभिर्ज्ञेय एवं रागास्त्रिधा मत: ॥
अर्थात,जिन रागों मे 5 स्वर प्रयोग होते है वे "ओडव जाति" ,जिन रागों मे 6 स्वर प्रयोग होते हैं वे "षाडव जाति" तथा जिन रागो मे 7 स्वर प्रयोग होते है वे "सम्पूर्ण जाति" के राग कहलाते है। अत: हम देख सकते हैं कि संख्या के आधार पर रागों की मुख्य तीन जातियां होती है-
ओडव जाति= 5 स्वर वाले राग
षाडव जाति = 6 स्वर वाले राग
सम्पूर्ण जाति = 7 स्वर वाले राग
परन्तु अधिकांश रागों के आरोह तथा अवरोह मे समान स्वरों कि संख्या का प्रयोग नही होता, जैसे कुछ रागों के आरोह मे 6 स्वर तथा अवरोह मे 7 स्वर प्रयोग होते है,तो कुछ के आरोह में 5 व अवरोह में 6 अथवा 7 स्वर प्रयोग किये जाते हैं। अब जिन रागों मे आरोह मे 5 व अवरोह मे6 स्वर लगते है उन्हें औडव-षाडवजाति के अन्तर्गत रक्खा जाता है,इसी प्रकार जिन रागो के आरोह मे 5 व अवरोह मे 7 स्वर लगाये जाते है उन्हेऔडव-सम्पूर्णजाति का माना जाता है ।इस प्रकार हम देखते है कि रागों कि मुख्य 3 जातियों से कुल मिलाकर 3* 3 = 9 जातियां बनती हैं ,इनके नाम इस प्रकार हैं………
- औडव-औडव- जिनके आरोह मे 5 व अवरोह मे भी 5 स्वर प्रयोग होते हो ।
- औडव-षाडव- जिनके आरोह मे 5 व अवरोह मे 6 स्वर प्रयोग होते हो ।
- औडव-सम्पूर्ण- जिनके आरोह मे 5 व अवरोह मे 7 स्वर प्रयोग होते हो ।
- षाडव-षाडव- जिनके आरोह मे 6 व अवरोह मे भी 6 स्वर प्रयोग होते हो ।
- षाडव-औडव - जिनके आरोह मे 6 व अवरोह मे 5 स्वर प्रयोग होते हो ।
- षाडव-सम्पूर्ण- जिनके आरोह मे 6 व अवरोह मे 7 स्वर प्रयोग होते हो ।
- सम्पूर्ण-सम्पूर्ण - जिनके आरोह मे 7 व अवरोह मे भी 7 स्वर प्रयोग होते हो ।
- सम्पूर्ण-षाडव- जिनके आरोह मे 7 व अवरोह मे 6 स्वर प्रयोग होते हो ।
- सम्पूर्ण-औडव- जिनके आरोह मे 7 व अवरोह मे 5 स्वर प्रयोग होते हो ।
राग स्वरूप अपने विशेष प्रकार के आरोह-अवरोह के क्रम में रहता है। जिस राग में सातों स्वर सा रे ग म प ध नि हों उसे सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति कहते हैं। इसी प्रकार 6 स्वरों के क्रम को षाढव। 5 स्वरों के क्रम को औढव और 4 स्वरों को सुरतर कहते हैं। ध्यान में रखें कि आरोह में जितने स्वर लगेंगे उससे कहीं अधिक या कम से कम आरोह के बराबर स्वर अवरोह में आने चाहिये। आरोह की अपेक्षा अवरोह में कम स्वर भारतीय संगीत में नहीं लिये जाते कारण वह नितान्त अस्वाभाविक बात है। इस प्रकार जातियों के कुल 10 प्रकार बनते हैं -
सम्पूर्ण - सम्पूर्ण
षाढव - सम्पूर्ण
षाढव - षाढव
औढव - सम्पूर्ण
औढव - षाढव
औढव - औढव
सुरतर - सम्पूर्ण
सुरतर - षाढव
सुरतर - औढव
सुरतर - सुरतर
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