রাগবাদি: সঙ্গীতে ঘরন কা মানে

शास्त्रीय संगीत में घरानों की परंपरा बड़ी पुरानी है. आपने जब भी किसी शास्त्रीय कलाकार का नाम सुना होगा ज्यादातर मौकों पर उसके साथ एक घराने का नाम भी सुना होगा. घराना शब्द हिंदी के घर और संस्कृत के गृह शब्द से बना है. क्या आपने कभी सोचा कि इन घरानों का मतलब क्या है? दरअसल इस सवाल का जवाब बहुत आसान है. घराने से सीधा मतलब है एक विशेष किस्म की गायकी.

भारतीय शास्त्रीय संगीत में तमाम घराने हुए हैं. हर घराने में थोड़ा बहुत फर्क है. ये फर्क गायकी के अंदाज से लेकर बंदिशों तक में दिखाई और सुनाई देता है. |

রাগিনী পদ্ধতি

रागों के वर्गीकरण की यह परंपरागत पद्धति है। १९वीं सदी तक रागों का वर्गीकरण इसी पद्धति के अनुसार किया जाता था। हर एक राग का परिवार होता था। सब छः राग ही मानते थे, पर अनेक मतों के अनुसार उनके नामों में अन्तर होता था। इस पद्धति को मानने वालों के चार मत थे।

शिव मत
इसके अनुसार छः राग माने जाते थे। प्रत्येक की छः-छः रागिनियाँ तथा आठ पुत्र मानते थे। इस मत में मान्य छः राग-

1. राग भैरव, 2. राग श्री, 3. राग मेघ, 4. राग बसंत, 5. राग पंचम, 6. राग नट नारायण।

ভারতের নাচ

नृत्य का इतिहास, मानव इतिहास जितना ही पुराना है। इसका का प्राचीनतम ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। लेकिन इसके उल्लेख वेदों में भी मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि प्रागैतिहासिक काल में नृत्य की खोज हो चुकी थी। इस काल में मानव जंगलों में स्वतंत्र विचरता था। धीरे-धीरे उसने समूह में पानी के स्रोतों और शिकार बहुल क्षेत्र में टिक कर रहना आरंभ किया- उस समय उसकी सर्वप्रथम समस्या भोजन की होती थी- जिसकी पूर्ति के बाद वह हर्षोल्लास के साथ उछल कूद कर आग के चारों ओर नृत्य किया करते थे। ये मानव विपदाओं से भयभीत हो जाते थे- जिनके निराकरण हेतु इन्होंने किसी अदृश्य दैविक शक्ति का अनुमान लगाया होगा तथा उस

ওডিসি- ওডিশা

ओड़िसी को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्‍य रूपों में से एक माना जाता है। 
* ओड़िसा के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओड़िसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। 
* ओड़िसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही कोणार्क के सूर्य मंदिर के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। 
* वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।

কথকলি-কেরল

* मुखौटा नृत्य इसी से सम्बंधित है ,( केवल पुरुष कलाकारों द्वारा)
* केरल के दक्षिण - पश्चिमी राज्‍य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला नृत्‍य कथकली यहां की परम्‍परा है। 
* कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्‍य नाटिका। 
* कथा का अर्थ है कहानी, यहां अभिनेता रामायण और महाभारत के महाग्रंथों और पुराणों से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं।
* कथकली अभिनय, 'नृत्य' (नाच) और 'गीता' (संगीत) तीन कलाओं से मिलकर बनी एक संपूर्ण कला है। 

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय