पुरंदरदास

पुरंदरदास : (सु. १४८४ – सु. १५६४). कर्नाटकातील एक थोर संतकवी, शास्त्रीय संगीतकार व रचनाकार. हे वसिष्ठ गोत्री यजुर्वेदी ब्राह्मण असून माध्वमताचे होते. त्यांचा जन्म पुण्याजवळील पुरंदरगडावर झाला, असे म्हणतात. पण काही विद्वानांच्या मते त्यांचा जन्म बळ्ळारी जिल्ह्यातील हंपीजवळील पुरंदरगड या गावी झाला. त्यांच्या वडिलांचे नाव वरदप्पा नायक. ते रत्नांचे व्यापारी होते. पुरंदरदासांचे जन्मनाम श्रीनिवास तथा तिम्मप्पा नायक. संस्कृत, कन्नड, संगीत या विषयांत त्यांनी शास्त्रोक्त ज्ञान संपादन केले होते. विजयानगरच्या कृष्णदेवरायांच्या दरबारात ते रत्नपारखी म्हणून प्रसिद्ध होते.

মুকুল কুলকার্নি

Mukul Kulkarni is an Indian classical vocalist. He is disciple of Arun Kashalkar (Agra-Gwalior gharana) and Sharad Sathe (Gwalior gharana). He is an 'A' grade artist of All India Radio. Mukul Kulkarni performs around India and abroad

Training
Mukul started learning classical vocal at the age of 10 years under N. G. Paramane.[5] Mukul was awarded a scholarship from Center for Cultural Resources and Training, New Delhi. Then, during Mukul's engineering studies, he studied under Sukhada Kane, disciple of Limaye and Kane.[5]

রবি কিচলু

Ravi Kichlu (Kashmiri: रवि किचलू (Devanagari), راوی کچلو (Nastaleeq)) (December 24, 1932 – 1993), popularly known as Pandit Ravi Kichlu, was a prominent classical Hindustani vocalist of Agra gharana, who formed a well-known duo with his brother Vijay Kichlu. He studied Dhrupad with the Dagar Brothers.

বিষ্ণু দিগম্বর পালস্কর যেসকি বদৌলত ভারতের শাস্ত্রীয় সঙ্গীত বিশ্বে মান পাকা

কিশোরী অমোনকরের শাস্ত্রীয় সঙ্গীতে ভারতীয় সংস্কৃতির আত্মা বসতি থি

किशोरी अमोनकर एक भारतीय शास्त्रीय गायक थीं जिन्होंने अपने शास्त्रीय संगीत के बल पर दशकों तक हिन्दुस्तान के संगीतप्रेमियों के दिल में अपनी जगह बनाए रखी। किशोरी अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल 1932 को मुंबई में हुआ था।

किशोरी अमोनकर को हिन्दुस्तानी परंपरा के अग्रणी गायकों में से एक माना जाता है। किशोरी अमोनकर जयपुर-अतरौली घराने की प्रमुख गायिका थीं। किशोरी अमोनकर एक विशिष्ट संगीत शैली के समुदाय का प्रतिनिधित्व करती थीं जिसका देश में बहुत मान है। किशोरी अमोनकर जब 6 वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय