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सुषिर वाद्य अथवा वायु वाद्य ( हवा के वाद्य )

हारमोनियम

भारत-पाकिस्तान-अफ़्ग़ानिस्तान में लोकप्रीय हस्त-चालित शैली का एक हारमोनियम हारमोनियम (Harmonium) एक संगीत वाद्य यंत्र है जिसमें वायु प्रवाह किया जाता है और भिन्न चपटी स्वर पटलों को दबाने से अलग-अलग सुर की ध्वनियाँ निकलती हैं। इसमें हवा का बहाव पैरों, घुटनों या हाथों के ज़रिये किया जाता है, हालाँकि भारतीय उपमहाद्वीप में इस्तेमाल होने वाले हरमोनियमों में हाथों का प्रयोग ही ज़्यादा होता है। हारमोनियम का आविष्कार यूरोप में किया गया था और १९वीं सदी के बीच में इसे कुछ फ़्रांसिसी लोग भारत-पाकिस्तान क्षेत्र में लाए जहाँ यह सीखने की आसानी और भारतीय संगीत के लिए अनुकूल होने की वजह से जड़ पकड़ गया। हा

Morsing

morsing (also mukharshankumourchingmorching or morchang; Telugu: మోర్సింగ్, Kannada: ಮೋರ್ಸಿಂಗ್, Rajasthani: मोरचंग, Tamil: நாமுழவு அல்லது முகச்சங்கு, Malayalam: മുഖർശംഖ്, English: "jaw harp") is an instrument similar to the Jew's harp, mainly used in Rajasthan, in the Carnatic music of South India, and in Sindh, Pakistan. It can be categorized under lamellophones, which is in the category of plucked idiophones.

सिंगा

सिंगा वाद्य यंत्र

भैंस की सींग से सिंगा बनाया जाता है। उसके नुकीले सिरे से फूंक मारी जाती है। दूसरा सिरा चौड़े मुंह का होता है और वह आगे की ओर मुड़ा रहता है। छऊ नाच में इसका उपयोग किया जाता है। शिकार के वक्त पशुओं को खदेड़ने के लिए इसे बजाया जाता है। पशुओं पर नियंत्रण के लिए चरवाहा लोग भी सिंगा बजाते हैं।

सानाई

सुषिर वाद्य फूंक कर बजाये जाते हैं। उनमें आड़बांसी या बांसुरी, सानाई, सिंगा, निशान, शंख, मदनभेरी आदि शामिल हैं। उनसे धुन निकाली जाती है। उन्हें गीतों के साथ बजाया भी जाता है।

शहनाई का है भारत से है पुराना नाता

भारत में संगीत का प्रचलन बहुत पुराना है। शहनाई भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्य यंत्रों में से है। शहनाई का प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।

मदनभेरी

झारखण्ड के निवासियों के लिए नृत्य, गीत और संगीत प्राण हैं। सब में कई प्रकार के वाद्यों का प्रयोग होता है। विभिन्न प्रकार के गीत-संगीत, नृत्य, उत्सव, पर्व तथा त्योहार आदि पर ये वाद्य बजाए जाते हैं। ये वाद्य यंत्र झारखण्ड की संस्कृति की प्रमुख पहचान हैं।

सुषिर वाद्य है मदनभेरी

सुषिर वाद्य फूंक कर बजाये जाते हैं। उनमें आड़बांसी या बांसुरी, सानाई, सिंगा, निशान, शंख, मदनभेरी आदि शामिल हैं। उनसे धुन निकाली जाती है। उन्हें गीतों के साथ बजाया भी जाता है।

शहनाई

शहनाई भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। स्वर्गीय उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां भारत में शहनाई के सबसे प्रसिद्ध वादक समझे जाते हैं। 

शहनाई भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। स्वर्गीय उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां भारत में शहनाई के सबसे प्रसिद्ध वादक समझे जाते हैं।

बीन

बीन बजाता हुआ एक संपेरा बीन बीन या पुंगी एक वायु प्रवाह से काम करने वाला वाद्य यन्त्र है। भारतीय उपमहाद्वीप में संपेरे मुख्यतः इस आद्य यन्त्र को बजाते हैं। 

बाँसुरी

बाँसुरी वाद्य क्या है ?
भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्‍त्र में ध्‍वनि की उत्‍पत्ति के आधार पर संगीत वाद्यों को चार मुख्‍य वर्गों में विभाजित किया गया है।

​बाँसुरी वाद्य सुषिर वाद्य परिवार का एक सदस्य है ।जिसका अर्थ है बाँस से निर्मित एक सुषिर वाद्य । 

आज उतर भारतीय संगीत में बांस से निर्मित बांसुरी एक अति

महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है और यह वाद्य यंत्र हिंदू धर्म से बड़ा गहरा रिश्ता

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