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शुद्ध कल्याण

राग शुद्ध कल्याण में आरोह में राग भूपाली और अवरोह में राग यमन के स्वर प्रयुक्त होते हैं। इस राग को भूप कल्याण के नाम से भी जाना जाता है परन्तु इसका नाम शुद्ध कल्याण ही ज्यादा प्रचलित है।

अवरोह में आलाप लेते समय, सा' नि ध और प म् ग को मींड में लिया जाता है और निषाद और मध्यम तीव्र पर न्यास नहीं किया जाता। तान लेते समय, अवरोह में निषाद को उन्मुक्त रूप से लिया जाता है पर मध्यम तीव्र को छोड़ा जा सकता है। यह स्वर संगति राग स्वरूप को स्पष्ट करती है -

सा ; ,नि ,ध ; ,नि ,ध ,प ; ,प ,ध सा ; सा ; ग रे सा ; ,ध ,प ग ; रे ग ; सा रे ; सा ,नि ,ध सा ; ग रे ग प रे सा ; सा रे ग प म् ग ; रे ग प ध प ; सा' ध सा' ; सा' नि ध ; प म् ग ; रे ग रे सा ; ग रे ग प रे सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
सारेगपरे गरेगसा
आरोह अवरोह
सारेगपधसां - सांनिधपम॓गरेसा
वादी स्वर
संवादी स्वर

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 22:28

राग शुद्ध कल्याण का परिचय
वादी: ग
संवादी: ध
थाट: KALYAN
आरोह: सारेगपधसां
अवरोह: सांनिधपम॓गरेसा
पकड़: सारेगपरे गरेगसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
विशेष: आरोह में माध्यम और निषाद वर्जित होता है। इसे मन्द्र एवं मध्य स्वर से गाया बजाया जाता है। तीव्र मध्यम का प्रयोग पंचम से गंधार में आते समय मींड़ के साथ लिया जाता है।
 

Pooja Sat, 24/04/2021 - 15:18

कोमल रिखबरू धैवतहि, सुर मनि बिना उदास।
वादी ध  सम्वादी  रे, ओडव राग विभास।।
 

संबंधित राग परिचय

शुद्ध कल्याण

राग शुद्ध कल्याण में आरोह में राग भूपाली और अवरोह में राग यमन के स्वर प्रयुक्त होते हैं। इस राग को भूप कल्याण के नाम से भी जाना जाता है परन्तु इसका नाम शुद्ध कल्याण ही ज्यादा प्रचलित है।

अवरोह में आलाप लेते समय, सा' नि ध और प म् ग को मींड में लिया जाता है और निषाद और मध्यम तीव्र पर न्यास नहीं किया जाता। तान लेते समय, अवरोह में निषाद को उन्मुक्त रूप से लिया जाता है पर मध्यम तीव्र को छोड़ा जा सकता है। यह स्वर संगति राग स्वरूप को स्पष्ट करती है -

सा ; ,नि ,ध ; ,नि ,ध ,प ; ,प ,ध सा ; सा ; ग रे सा ; ,ध ,प ग ; रे ग ; सा रे ; सा ,नि ,ध सा ; ग रे ग प रे सा ; सा रे ग प म् ग ; रे ग प ध प ; सा' ध सा' ; सा' नि ध ; प म् ग ; रे ग रे सा ; ग रे ग प रे सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
सारेगपरे गरेगसा
आरोह अवरोह
सारेगपधसां - सांनिधपम॓गरेसा
वादी स्वर
संवादी स्वर

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 22:28

राग शुद्ध कल्याण का परिचय
वादी: ग
संवादी: ध
थाट: KALYAN
आरोह: सारेगपधसां
अवरोह: सांनिधपम॓गरेसा
पकड़: सारेगपरे गरेगसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
विशेष: आरोह में माध्यम और निषाद वर्जित होता है। इसे मन्द्र एवं मध्य स्वर से गाया बजाया जाता है। तीव्र मध्यम का प्रयोग पंचम से गंधार में आते समय मींड़ के साथ लिया जाता है।
 

Pooja Sat, 24/04/2021 - 15:18

कोमल रिखबरू धैवतहि, सुर मनि बिना उदास।
वादी ध  सम्वादी  रे, ओडव राग विभास।।