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परमेश्वरी

यह राग पंडित रवि शंकर जी द्वारा रचित है। यह राग बहुत ही मधुर है लेकिन अप्रचलित है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है।

यह स्वर संगतियाँ राग परमेश्वरी का रूप दर्शाती हैं - सा रे१ ग१ म ; ग१ म ध म ; म ध नि१ सा' ; ध नि१ रे१' सा' ; सा' नि१ ध म ; म ग१ रे१; ग१ रे१ ,नि१ ,ध ; ,ध ,नि१ रे१ सा ;

राग जाति

पकड़
रे् ग् म ध् म ग् रे् नि़् ध़् नि़् रे् सा
आरोह अवरोह
सा रे् ग् म ध् नि् सां - सां नि् ध् म ग् रे् सा
वादी स्वर
संवादी स्वर
सा

संबंधित राग परिचय

परमेश्वरी

यह राग पंडित रवि शंकर जी द्वारा रचित है। यह राग बहुत ही मधुर है लेकिन अप्रचलित है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है।

यह स्वर संगतियाँ राग परमेश्वरी का रूप दर्शाती हैं - सा रे१ ग१ म ; ग१ म ध म ; म ध नि१ सा' ; ध नि१ रे१' सा' ; सा' नि१ ध म ; म ग१ रे१; ग१ रे१ ,नि१ ,ध ; ,ध ,नि१ रे१ सा ;

राग जाति

पकड़
रे् ग् म ध् म ग् रे् नि़् ध़् नि़् रे् सा
आरोह अवरोह
सा रे् ग् म ध् नि् सां - सां नि् ध् म ग् रे् सा
वादी स्वर
संवादी स्वर
सा