Skip to main content
English

तोडी

तोडी

राग तोडी अपने कोमल और तीव्र स्वरों द्वारा ऐसा प्रभाव पैदा करता है कि भावना का सागर उमड पडता है। यह 'मियां की तोडी' के नाम से भी प्रचलित है। इसे शुद्ध तोड़ी या दरबारी तोड़ी भी कहा जाता है। तोडी का कोमल गंधार, कोमल रिषभ की तरफ झुका हुआ होता है अर्थात यह अति कोमल गंधार है।

राग तोडी राग मुलतानी से मिलता जुलता राग है। मुलतानी में कोमल गंधार, तोडी के कोमल गंधार से कुछ चढा हुआ रहता है। मुलतानी में गंधार का झुकाव तीव्र मध्यम की ओर होता है। राग तोडी में पंचम का प्रयोग अल्प करते हैं - उसे पूर्णतः वर्ज्य नही करना चाहिये नहीं तो वह राग गुजरी तोडी हो जायेगा। अतः राग तोडी में पंचम का अल्प प्रयोग आवश्यक है। आरोह में अक्सर पंचम को लांघकर गाते हैं।

इस राग में मींड, गमक आदि से राग और भी निखर जाता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। इस राग की प्रकृति गंभीर हैैं। यह भक्ति तथा करुण रस से परिपूर्ण राग है। इस राग के और भी प्रकार प्रचलित हैं, जैसे - गुजरी तोडी, बिलासखानी तोडी, भूपाल तोडी आदि। यह स्वर संगतियाँ राग तोडी का रूप दर्शाती हैं -

सा रे१ रे१ सा ; रे१ रे१ ग१ रे१ सा ; ,ध१ ,ध१ ,नि ,नि सा ; रे१ रे१ ग१ रे१ सा ; सा रे१ ग१ म् प ; प म् ध१ प ; म् ध१ नि ; म् ध१ नि सा' ; सा' रे१' ग१' रे१' ग१' रे१' सा' ; सा' नि ध१ ; नि ध१ प ; म् ध१ नि ध१ म् ग१ रे१ सा ;

थाट

पकड़
ध़॒ऩिसारे॒ग॒रे॒ग॒रे॒सा
आरोह अवरोह
सारे॒ग॒म॓पध॒निसां - सांनिध॒पम॓ग॒रे॒सा
वादी स्वर
ध़॒
संवादी स्वर
ग॒

राग

तोडी

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 22:30

राग तोड़ी का परिचय
वादी: ध़॒
संवादी: ग॒
थाट: TODI
आरोह: सारे॒ग॒म॓पध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒पम॓ग॒रे॒सा
पकड़: ध़॒ऩिसारे॒ग॒रे॒ग॒रे॒सा
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: Day का 
 

संबंधित राग परिचय

तोडी

तोडी

राग तोडी अपने कोमल और तीव्र स्वरों द्वारा ऐसा प्रभाव पैदा करता है कि भावना का सागर उमड पडता है। यह 'मियां की तोडी' के नाम से भी प्रचलित है। इसे शुद्ध तोड़ी या दरबारी तोड़ी भी कहा जाता है। तोडी का कोमल गंधार, कोमल रिषभ की तरफ झुका हुआ होता है अर्थात यह अति कोमल गंधार है।

राग तोडी राग मुलतानी से मिलता जुलता राग है। मुलतानी में कोमल गंधार, तोडी के कोमल गंधार से कुछ चढा हुआ रहता है। मुलतानी में गंधार का झुकाव तीव्र मध्यम की ओर होता है। राग तोडी में पंचम का प्रयोग अल्प करते हैं - उसे पूर्णतः वर्ज्य नही करना चाहिये नहीं तो वह राग गुजरी तोडी हो जायेगा। अतः राग तोडी में पंचम का अल्प प्रयोग आवश्यक है। आरोह में अक्सर पंचम को लांघकर गाते हैं।

इस राग में मींड, गमक आदि से राग और भी निखर जाता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। इस राग की प्रकृति गंभीर हैैं। यह भक्ति तथा करुण रस से परिपूर्ण राग है। इस राग के और भी प्रकार प्रचलित हैं, जैसे - गुजरी तोडी, बिलासखानी तोडी, भूपाल तोडी आदि। यह स्वर संगतियाँ राग तोडी का रूप दर्शाती हैं -

सा रे१ रे१ सा ; रे१ रे१ ग१ रे१ सा ; ,ध१ ,ध१ ,नि ,नि सा ; रे१ रे१ ग१ रे१ सा ; सा रे१ ग१ म् प ; प म् ध१ प ; म् ध१ नि ; म् ध१ नि सा' ; सा' रे१' ग१' रे१' ग१' रे१' सा' ; सा' नि ध१ ; नि ध१ प ; म् ध१ नि ध१ म् ग१ रे१ सा ;

थाट

पकड़
ध़॒ऩिसारे॒ग॒रे॒ग॒रे॒सा
आरोह अवरोह
सारे॒ग॒म॓पध॒निसां - सांनिध॒पम॓ग॒रे॒सा
वादी स्वर
ध़॒
संवादी स्वर
ग॒

राग

तोडी

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 22:30

राग तोड़ी का परिचय
वादी: ध़॒
संवादी: ग॒
थाट: TODI
आरोह: सारे॒ग॒म॓पध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒पम॓ग॒रे॒सा
पकड़: ध़॒ऩिसारे॒ग॒रे॒ग॒रे॒सा
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: Day का