Skip to main content
English

कामोद

राग कामोद

राग कामोद बहुत ही मधुर और प्रचलित राग है। इस राग में मल्हार अंग, हमीर अंग और कल्याण अंग की छाया स्पष्ट रूप से दिखाई देती है साथ ही केदार और छायानट की झलक भी दिखाई देती है। इसलिये यह राग गाने में कठिन है। ग म प ग म रे सा - यह कामोद अंग कहलाता है। इस राग में रिषभ-पंचम की संगती के साथ-साथ ग म प ग म रे सा यह स्वर समूह राग वाचक है। यह स्वर संगतियाँ राग कामोद का रूप दर्शाती हैं -

सा म रे प (मल्हार अंग); रे रे प ; ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); म् प ध प (केदार अंग) ; ग म ध ध प (हमीर अंग); ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); प ध प सा' सा' रे' सा' (छायानट अंग); सा' रे' सा' सा' ध ध प (कल्याण अंग) ; म् प ध म् प ; ग म प ग म रे सा ;

थाट

पकड़
मरेप गमधप
आरोह अवरोह
सारेप म॓पधप निधसां- सांनिधप म॓पधप गमपगमरेसा
वादी स्वर
संवादी स्वर
रे

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 21:43

राग कामोद का परिचय
वादी: प
संवादी: रे
थाट: KALYAN
आरोह: सारेप म॓पधप निधसां
अवरोह: सांनिधप म॓पधप गमपगमरेसा
पकड़: मरेप गमधप
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
विशेष: तीव्र मध्यम एवं कोमल निषाद का प्रयोग वक्र रूप से अवरोह में होता है। जैसे म॓पधनि॒धपम॓पगमपगमरेसा
 

संबंधित राग परिचय

कामोद

राग कामोद

राग कामोद बहुत ही मधुर और प्रचलित राग है। इस राग में मल्हार अंग, हमीर अंग और कल्याण अंग की छाया स्पष्ट रूप से दिखाई देती है साथ ही केदार और छायानट की झलक भी दिखाई देती है। इसलिये यह राग गाने में कठिन है। ग म प ग म रे सा - यह कामोद अंग कहलाता है। इस राग में रिषभ-पंचम की संगती के साथ-साथ ग म प ग म रे सा यह स्वर समूह राग वाचक है। यह स्वर संगतियाँ राग कामोद का रूप दर्शाती हैं -

सा म रे प (मल्हार अंग); रे रे प ; ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); म् प ध प (केदार अंग) ; ग म ध ध प (हमीर अंग); ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); प ध प सा' सा' रे' सा' (छायानट अंग); सा' रे' सा' सा' ध ध प (कल्याण अंग) ; म् प ध म् प ; ग म प ग म रे सा ;

थाट

पकड़
मरेप गमधप
आरोह अवरोह
सारेप म॓पधप निधसां- सांनिधप म॓पधप गमपगमरेसा
वादी स्वर
संवादी स्वर
रे

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 21:43

राग कामोद का परिचय
वादी: प
संवादी: रे
थाट: KALYAN
आरोह: सारेप म॓पधप निधसां
अवरोह: सांनिधप म॓पधप गमपगमरेसा
पकड़: मरेप गमधप
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
विशेष: तीव्र मध्यम एवं कोमल निषाद का प्रयोग वक्र रूप से अवरोह में होता है। जैसे म॓पधनि॒धपम॓पगमपगमरेसा