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अल्हैया बिलावल

राग बिलावल में कोमल निषाद के प्रयोग से राग अल्हैया बिलावल का निर्माण हुआ है। इसके अवरोह में निषाद कोमल का प्रयोग अल्प तथा वक्रता से किया जाता है जैसे ध नि१ ध प। यदि सीधे अवरोह लेना हो तो शुद्ध निषाद का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा। इसी तरह अवरोह में गंधार भी वक्रता से लेते हैं जैसे - ध नि१ ध प ; ध ग प म ग रे सा। इस राग का वादी स्वर धैवत है परन्तु धैवत पर न्यास नहीं किया जाता। इसके न्यास स्वर पंचम और गंधार हैं। इस राग में धैवत-गंधार संगती महत्वपूर्ण है और इसे मींड में लिया जाता है।

यह उत्तरांग प्रधान राग है, इसका चलन और विस्तार तार सप्तक में अधिकता से किया जाता है। इस राग की प्रकृति में करुण रस का आभास होता है। इस राग में ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग अल्हैया बिलावल का रूप दर्शाती हैं -

सा रे ग ; ग म रे ग प ; प म ग ; रे ग रे सा ; ग म रे ग प ; ध ग म ग ; ग प ध म ग ; ग प ध नि सा' ; सा' रे' सा' ; सा' नि ध प ; ध नि सा' ; सा' नि ध प ; ध नि१ ध प ; ध ग म ग रे सा ;

थाट

न्यास के स्वर
पंचम और गंधार
आरोह अवरोह
सा रे ग प ध नि सा' - सा' नि ध प ध नि१ ध प म ग रे सा;
वादी स्वर
धैवत/गंधार
संवादी स्वर
धैवत/गंधार

राग के अन्य नाम

Comments

Anand Mon, 19/04/2021 - 19:18

राग अल्हैया बिलावल का परिचय
थाट - बिलावल                जाति - षाडव - सम्पूर्ण
वादी - धैवत                    संवादी - गंधार
वर्ज्य स्वर - आरोह में म   
विकृत स्वर - अवरोह में वक्र कोमल नि

आरोह - सा, ग रे ग प, ध नि सां                              
अवरोह - सां नि ध प, घ नि ध प, म ग म रे सा
पकड़ - ग प ध नि ध प, म ग म रे
समय - दिन का प्रथम प्रहर

सम्प्रकृति राग - बिलावल

विशेषताये

यह बिलावल का एक प्रकार है
आरोह-अवरोह दोनों में शुद्ध नि प्रयोग करते हैं.
कोमल नि केवल अवरोह में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है - सां नि ध प, ध नि ध प
राग की चलन उत्तरांग में अधिक होती है.
अवरोह में ग स्वर वक्र प्रयोग होता है, जैसे - म ग म रे
इस राग पर आधारित कुछ बॉलिवुड गाने
१. भोर आई गया अन्धियारा - बावर्ची
 

संबंधित राग परिचय

अल्हैया बिलावल

राग बिलावल में कोमल निषाद के प्रयोग से राग अल्हैया बिलावल का निर्माण हुआ है। इसके अवरोह में निषाद कोमल का प्रयोग अल्प तथा वक्रता से किया जाता है जैसे ध नि१ ध प। यदि सीधे अवरोह लेना हो तो शुद्ध निषाद का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा। इसी तरह अवरोह में गंधार भी वक्रता से लेते हैं जैसे - ध नि१ ध प ; ध ग प म ग रे सा। इस राग का वादी स्वर धैवत है परन्तु धैवत पर न्यास नहीं किया जाता। इसके न्यास स्वर पंचम और गंधार हैं। इस राग में धैवत-गंधार संगती महत्वपूर्ण है और इसे मींड में लिया जाता है।

यह उत्तरांग प्रधान राग है, इसका चलन और विस्तार तार सप्तक में अधिकता से किया जाता है। इस राग की प्रकृति में करुण रस का आभास होता है। इस राग में ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग अल्हैया बिलावल का रूप दर्शाती हैं -

सा रे ग ; ग म रे ग प ; प म ग ; रे ग रे सा ; ग म रे ग प ; ध ग म ग ; ग प ध म ग ; ग प ध नि सा' ; सा' रे' सा' ; सा' नि ध प ; ध नि सा' ; सा' नि ध प ; ध नि१ ध प ; ध ग म ग रे सा ;

थाट

न्यास के स्वर
पंचम और गंधार
आरोह अवरोह
सा रे ग प ध नि सा' - सा' नि ध प ध नि१ ध प म ग रे सा;
वादी स्वर
धैवत/गंधार
संवादी स्वर
धैवत/गंधार

राग के अन्य नाम

Comments

Anand Mon, 19/04/2021 - 19:18

राग अल्हैया बिलावल का परिचय
थाट - बिलावल                जाति - षाडव - सम्पूर्ण
वादी - धैवत                    संवादी - गंधार
वर्ज्य स्वर - आरोह में म   
विकृत स्वर - अवरोह में वक्र कोमल नि

आरोह - सा, ग रे ग प, ध नि सां                              
अवरोह - सां नि ध प, घ नि ध प, म ग म रे सा
पकड़ - ग प ध नि ध प, म ग म रे
समय - दिन का प्रथम प्रहर

सम्प्रकृति राग - बिलावल

विशेषताये

यह बिलावल का एक प्रकार है
आरोह-अवरोह दोनों में शुद्ध नि प्रयोग करते हैं.
कोमल नि केवल अवरोह में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है - सां नि ध प, ध नि ध प
राग की चलन उत्तरांग में अधिक होती है.
अवरोह में ग स्वर वक्र प्रयोग होता है, जैसे - म ग म रे
इस राग पर आधारित कुछ बॉलिवुड गाने
१. भोर आई गया अन्धियारा - बावर्ची