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अडाना

अडाना

राग अडाना के आरोह में गंधार वर्ज्य होने के कारण यह राग दरबारी कान्हड़ा से अलग दिखता है। राग अडाना विशेष कर मध्य और तार सप्तक में खिलता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन नहीं किया जाता। और इसी तरह गमक और मींड का भी उपयोग नहीं किया जाता इसीलिए इस राग की प्रकृति में चंचलता है।

पं। अजोय चक्रवर्ती (राग चढो रघुवीरा) द्वारा Raag Adana

Pt Ajoy Chakraborty -Raag Adana Rama Chadho Raghuveera+Tan Kapataana Kahaam gayo jaga men +Jaisee Kariye vaisee bhariye- Source: From the collection of Mr.Farhat Said Khan & his son Mr.Rafat Said Khan.

पं। अजोय चक्रवर्ती -राग आदन राम चाधो रघुवीरा + तान कपटाणा कहम गयो जग पुरुषों + जायसी करिऐ वासि भरि-स्रोत: श्री। सरहद सईद खान और उनके पुत्र श्रीरफत सईद खान के संग्रह से।

संबंधित राग परिचय

अडाना

राग अडाना के आरोह में गंधार वर्ज्य होने के कारण यह राग दरबारी कान्हड़ा से अलग दिखता है। राग अडाना विशेष कर मध्य और तार सप्तक में खिलता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन नहीं किया जाता। और इसी तरह गमक और मींड का भी उपयोग नहीं किया जाता इसीलिए इस राग की प्रकृति में चंचलता है।

आरोह में गंधार वर्ज्य है परन्तु अवरोह में ग१ म रे सा लिया जाता है जो की कान्हड़ा अंग का सूचक है। कभी-कभी अवरोह की तान लेते समय धैवत को छोड़ा जाता है जिससे सारंग अंग का आभास होता है जैसे - सा' नि१ प म ग१ म रे सा। इस राग में आरोह का कोमल निषाद थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। यह स्वर संगतियाँ अडाना राग का रूप दर्शाती हैं -

थाट

आरोह अवरोह
सा रे म प ध१ नि१ सा' - सा' ध१ नि१ प ; म प ग१ म रे सा;
वादी स्वर
षड्ज/पंचम
संवादी स्वर
षड्ज/पंचम