होली गैर
होली नृत्य
होली मूलतः गायन विधा ही है किन्तु अब विशेष रूप से अवध क्षेत्र में इसे नृत्यात्मक बना दिया गया है। होरी, जोगीरा, कबीरा इसकी शैलियाँ है। होली के अवसर पर अथवा पूरी फाल्गुन माह भर यह गीत विशेष रूप से पुरुषों को उन्मुक्त और मतवाला बना देता है। युवक - युवतियां दोनों इस नृत्य में सम्मिलित होते हैं और ढोल, मंजीरा, हारमोनियम, झांझ, मृदंग के संग गीत की पंक्तियों के बीच 'जोगीरा' छोड़ते जाते हैं।
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