चौरसिया नृत्य
चुरकुला नृत्य
होली ब्रज क्षेत्र का एक विशेष पर्व है, जिसमें फागुन का उल्लास गायन के रुप में पूरे ब्रज में एक नई उमंग पैदा कर देता है। इस अवसर पर पूरे ब्रज में अनेक स्थलों पर नृत्य-गायन के विभिन्न समारोह होते हैं परन्तु इन नृत्यों में चुरकुला नृत्य सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। यह नृत्य ऊमरु, खेमरी, सोंख, मुखराई आदि कुछ खास गाँवों में होता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक उमड़ पड़ते हैं। इस नृत्य के लिए हर गाँवों में होली के आस-पास की तिथि परम्परा से निश्चित हैं, जिनमें गाँव के किसी विशाल प्रांगण में यह नृत्य महिलाओं द्वारा किया जाता है। कोई एक महिला अपने मस्तक पर लोहे अथवा काष्ठ का बना एक लंबा, गो
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चरकुला नृत्य
जनपद की इस नृत्य कला ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचायी है पूर्व में होली या उसके दूसरे दिन रात्रि के समय गांवों में स्त्री या पुरुष स्त्री वेश धारण कर सिर पर मिट्टी के सात घड़े तथा उसके ऊपर जलता हुआ दीपक रखकर अनवरत रूप से चरकुला नृत्य करता था। गांव के सभी पुरुष नगाड़ों, ढप, ढोल, वादन के साथ रसिया गायन करते थे।
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