चकरी नृत्य
कहरही (कहरुआ नृत्य)
'कंहारों' का पुस्तैनी पेशा पालकी ढोना था। बाद में ये मिटटी बर्तन भी बनाने लगे। इस काम में उल्लास के लिए इन्होने नाचना -गाना भी अनिवार्य समझा। अतः चाक की गति के संग-संग गीत भी गुनगुनाने लगे। 'संघाती' घड़े पर ताल देने लगे और ठुमकने भी लगे। ओरी-ओरियानी खड़ी होकर महिलाएं गीत दुहराने लगीं। इस प्रकार नृत्य, गीत, वाद्य का समवेत समन्वय हो गया और उससे एक विधा का जन्म हो गया जिसे 'कंहरही' कहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहाँ इनकी बस्ती है, ये लोग अपने आनंद और आल्हाद के लिए, श्रम -परिहार के लिए, मधुर धुन, लय, ताल में नाचने-गाने लगे।
- Read more about कहरही (कहरुआ नृत्य)
- Log in to post comments
- 55 views
चरी नृत्य
चरी नृत्य भारत में राजस्थान का आकर्षक व बहुत प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला सामूहिक लोक नृत्य है। यह राजस्थान के अजमेर और किशनगढ़ में अति प्रचलित है। चरी नृत्य राजस्थान में किशनगढ़ और अजमेर के गुर्जर और सैनी समुदाय की महिलाओं का एक सुंदर नृत्य है। चेरी नृत्य राजस्थान में कई बड़े समारोहों, त्योहारों, लडके के जन्म पर, शादी के अवसरों के समय किया जाता है। फलकू बाई इसकी प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं
चरी नृत्य
- Read more about चरी नृत्य
- Log in to post comments
- 652 views
जनजातीय इन्द्रवासी नृत्य
'धरकार' एक ऐसी जनजाति है जो मुख्य रूप से वाद्य यंत्र बनाकर अथवा डलिया - सूप बनाकर अपनी जीविका चलाती है और जब वाद्य यंत्र बनाती ही है तो नाचना गाना भी होता ही है। पूर्वांचल के सोनभद्र सहित अन्य जनपदों में बांस-वनों के समीप निवास करने वाली यह जनजाति निशान (सिंहा), डफला, शहनाई, बांसुरी, ढोल, मादल बना कर और बजाकर, झूम कर जाने कब से नाचती -गाती आ रही हैं। विवाह, गवना, मेले - ठेलों में या फिर बाजारों में भी होली - दीपावली, दशहरा, करमा आदि पर्वों पर ये लोग इन्द्रवासी नृत्य करके सबको मुग्ध कर देते हैं।
- Read more about जनजातीय इन्द्रवासी नृत्य
- Log in to post comments
- 35 views
नटुआ नृत्य
'खटिकों' की तरह चर्मकार जाति के लोग 'नटुआ' नाच करते हैं। पहली फसल कट जाने पर फाल्गुन -चैत की चांदनी रात में यह द्वार-द्वार जाकर नाचते-गाते और बदले में कुछ अनाज या पैसा पाते थे। ये लोग बरी-भात और पूड़ी पर नाचते थे। अब अपनी बस्ती में वृत्त - अर्धवृत्त बनाकर घुमते हुए नाचते और हास्य - व्यंग में अभिनय करते हैं। रंग - बिरंगी गुदड़ी पहने चूना कालिख लगाये प्रहसक अश्लील् चुटकुले बोलता है। नर्तक बीच में नाचता है। एक टेढ़ी छड़ी अनिवार्य होती है। ढोल, छड, घंटी, झांझ, छल्ला, पावों में पैरी, कमर में कौड़ी बांधे नर्तक हास्य का माहौल सृजित कर देते हैं।
- Read more about नटुआ नृत्य
- Log in to post comments
- 162 views