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Hai isi mein pyar ki aabru❤️ RAAG BHAIRAVI ❤️ Lata Mangeshkar❤️ Madan Mohan

Song: Hai usi mein pyar ki aabru Film: Anpadh (1962) Singer: Lata Mangeshkar Lyrics: Raja Mehdi Ali Khan Music: Madan Mohan Director: Mohan Kumar Starring: Mala Sinha, Balraj Sahni, Dharmendra, Shashikala, Bindu, Nassir Hussain, Shaminder, Dhumal Production Company: Kiron Productions Cover song by SiNGER SANCHiTA Karaoke has been taken from this link: https://youtu.be/uF3h9eijl0E My other YouTube Channel: INNER UNIVERSE COMMUNITY Editing app used for this video is Kinemaster Mic Brand name is SONiLEX SL-BS204 (Wireless with Bluetooth and USB) My e-mail: [email protected] Follow me on Facebook: https://www.facebook.com/SanchitaSingerAuthor/ My Instagram handle is: @singersanchita More songs sung by SiNGER SANCHiTA: *Ye dil tum bin kahin lagta nahin https://youtu.be/as7tZ8KZI7o *Akele hain chale aao https://youtu.be/3D11W-TtzJw *Ehsaan tera hoga mujh par https://youtu.be/WrV9yQ_NyF0 *O mere dil ke chain https://youtu.be/IQDi9PbdMqw *Tera fitoor jab se chadh gaya re https://youtu.be/idTM1ompKvE *Gulabi aankhen jo teri dekhi (Rafi) https://youtu.be/Epdn_hZzd1I *Nainheen ko raah dikha prabhu (K L Saigal Saab) https://youtu.be/GfHluJOqQ5E *Gaata rahe mera dil https://youtu.be/yPy0gWFKoJY *Pyar deewaana hota hai https://youtu.be/jTbV2Ralrrs * Jeevan se bhari teri aakhen https://youtu.be/Gu9en9QhqA0 *Ek ajnabi haseena se https://youtu.be/ekivYuIIrDM * Dil cheez kya hai https://youtu.be/806pPZFVZMg *Bin tere sanam https://youtu.be/b71Mfez0J5k *Hai apna dil to aawaara https://youtu.be/abp4NDKGOR8 *Likhe jo khat tujhe https://youtu.be/BhC6yZxbbG8 *Tum asha vishwas hamaare https://youtu.be/KNlWFdWK3uA *Tumko dekha to ye khayal https://youtu.be/iNxOsHYOzbY *Dil diya hai jaan bhi denge https://youtu.be/emBw_IEv2DE #MadanMohanSongs #LataMangeshkar #OldFilmSongs #RajaMehdiAliKhan

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संबंधित राग परिचय

भैरवी

भैरवी

यह भैरवी थाट का आश्रय राग है। हालांकि इस राग का गाने का समय प्रातःकाल है पर इस राग को गाकर महफिल समाप्त करने की परंपरा प्रचार में है। आजकल इस राग में बारह स्वरों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने का चलन बढ़ गया है जिसमें कलाकार कई रागों के अंगों का प्रदर्शन करते हैं। यह राग भाव-अभिव्यक्ति के लिए बहुत अनुकूल तथा प्रभावकारी है। इसके पूर्वांग में करुण तथा शोक रस की अनुभूति होती है। और जैसे ही पूर्वार्ध और उत्तरार्ध का मिलाप होता है तो इस राग की वृत्ति उल्हसित हो जाती है।

ऐसा कौन संगीत मर्मज्ञ अथवा संगीत रसिक होगा जिसने राग भैरवी का नाम ना सुना हो या इसके स्वरों को ना सुना हो। इस राग के इतने लचीले, भावपूर्ण तथा रसग्राही स्वर हैं की श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस राग का विस्तार मध्य तथा तार सप्तक में किया जाता है। इस राग में जब शुद्ध रिषभ का प्रयोग किया जाता है तो इसे सिंधु-भैरवी कहा जाता है।

इस राग की प्रकृति चंचल है अतः इसमें ख्याल नही गाये जाते। इसमें भक्ति तथा श्रृंगार रस की अनुभूति भरपूर होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, टप्पा, ग़ज़ल, आदि प्रकार गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग भैरवी का रूप दर्शाती हैं -

रे१ ग१ रे१ ग१ सा रे१ सा ; ग१ म प ; प ध१ प ; प ध१ नि१ ध१ म ; ध१ प ग१ म ; प म ग१ म रे१ रे१ सा ; ,ध१ सा ; सा ग१ म प ; प ध१ प ; म म ; ग१ रे१ सा ; सा ग१ रे१ म ग१ ; सा ग१ प म ग१ सा रे१ सा ; ,नि१ रे१ ,नि१ ,ध१ ,नि१ ,ध१ ,प ,प ,ध१ ,नि१ ,ध१ सा;

थाट

समप्रकृति राग

आरोह अवरोह
सा रे१ ग१ म प ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म ग१ रे१ सा;
वादी स्वर
मध्यम/षड्ज
संवादी स्वर
मध्यम/षड्ज
भैरवी

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 19:38

राग भैरवी का परिचय
''''रे ग ध नि कोमल राखत, मानत मध्यम वादी।
प्रात: समय जाति संपूर्ण, सोहत सा संवादी॥''''
कोमल स्वर - रिषभ, गंधार, धैवत और निषाद।
शुद्ध स्वर - षडज, मध्यमा, पंचम।
जाति - सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
थाट - भैरवी
वादी - मध्यमा
संवादी - षडज
आरोह- सा रे॒ ग॒ म प ध॒ नि॒ सां।
अवरोह- सां नि॒ ध॒ प म ग॒ रे॒ सा।
पकड़- म, ग॒ रे॒ ग॒, सा रे॒ सा, ध़॒ नि़॒ सा।
 

Pooja Mon, 19/04/2021 - 19:39

यह भैरवी थाट का आश्रय राग है। हालांकि इस राग का गाने का समय प्रातःकाल है पर इस राग को गाकर महफिल समाप्त करने की परंपरा प्रचार में है। आजकल इस राग में बारह स्वरों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने का चलन बढ़ गया है जिसमें कलाकार कई रागों के अंगों का प्रदर्शन करते हैं। यह राग भाव-अभिव्यक्ति के लिए बहुत अनुकूल तथा प्रभावकारी है। इसके पूर्वांग में करुण तथा शोक रस की अनुभूति होती है। और जैसे ही पूर्वार्ध और उत्तरार्ध का मिलाप होता है तो इस राग की वृत्ति उल्हसित हो जाती है।
इस राग के इतने लचीले, भावपूर्ण तथा रसग्राही स्वर हैं की श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस राग का विस्तार मध्य तथा तार सप्तक में किया जाता है।
इस राग में जब शुद्ध रिषभ का प्रयोग किया जाता है तो इसे सिंधु-भैरवी कहा जाता है।
इस राग की प्रकृति चंचल है अतः इसमें ख्याल नही गाये जाते। इसमें भक्ति तथा श्रृंगार रस की अनुभूति भरपूर होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, टप्पा, ग़ज़ल, आदि प्रकार गाये जाते हैं।
 

Pooja Mon, 19/04/2021 - 19:41

गूंज उठी शहनाई - दिल का खिलौना हाय टूट गया
सीमा - सुनो छोटी सी गुड़िया की लंबी कहानी
बैजू बावरा - तू गंगा की मौज मैं जमुना की धारा
सत्यम शिवम सुन्दरम् - सत्यम शिवम सुन्दरम,
दाग - ऐ मेरे दिल कहीं और चल
आवारा - आवारा हूं या गर्दिश में मैं आसमान का तारा
           - घर आया मेरा परदेशी
रोटी कपड़ा और मकान - महंगाई मार गई
दो कलियां - बच्चे मन के सच्चे
बरसात - बरसात में हम से मिले तुम सजन,
           - छोड़ गये बालम
दो बदन - भरी दूनिया में आखिर दिल
सत्यम शिवम सुन्दरम - भोर भये पनघट पे
संगम - बोल राधा बोल संगम, दोस्त दोस्त ना रहा
जंगली - चाहे कोई मुझे जंगली कहे
छलिया - छलिया मेरा नाम
अमर प्रेम - चिंगारी कोई भड़के तो
सुर संगम - धन्य भाग सेवा का अवसर पाया
गैम्बलर - दिल आज शायर है
दिल अपना और प्रित पराई - दिल अपना और प्रित पराई
गंगा जमुना - दो हंसों का जोड़ा
तीसरी कसम - दुनिया बनाने वाले
कुदरत - हमें तुमसे प्यार कितना
जिस देश में गंगा बहती है - होठों पे सच्चाई रहती है
              - मेरा नाम राजू घराना
अमर - इन्साफ का मन्दिर है ये भगवान का घर है
भरोसा - इस भरी दुनिया में कोई
माया - जा रे, जारे उर जा रे पंछी
शाह जहां - जब दिल हीं टूट गया
मेरा नाम जोकर - जीना यहां मरना यहां
                      - कहता है जोकर सारा जमाना
सहेली - जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
झनक झनक पायल बाजे - जो तुम तोड़ो पिया
संत ज्ञानेश्वर - ज्योत से ज्योत जगाते चलो
ऐतबार - किसी नज़र को तेरा इंतजार
दिल हीं तो है - लागा चुनरी में दाग
आलाप - माता सरस्वती शारदा
बसन्त बहार - मैं पिया तेरी तु माने या ना माने
उपकार - मेरे देश की धरती सोना उगले
श्री ४20 - मेरा जूता है जापानी
            - प्यार हुआ इकरार हुआ है
            - रमैया वस्तावैया
द लिजेन्ड ऑफ भगत सिंह - मेरा रंग दे बसन्ती चोला
कसमे वादे - मिले जो कड़ी कड़ी
पं० भीमसेन जोशी - मिले सुर मेरा तुम्हारा
किनारा - मीठे बोल बोल
जवाब - पूरब न जईयो
दिल भी तेरा हम भी तेरे - मुझको इस रात की तन्हाई
मेरी सूरत तेरी आँखें - नाचे मन मोरा मगन तीद दा
दूज का चांद - फूल गेंदवा न मारो
आह - राजा की आयेगी बारात
अनाड़ी - सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी
           - तेरा जाना
साहिब बीबी और गुलाम - साक़िया आज मुझे नीन्द नहीं
गुलामी - सुनाई देती है जिसकी धड़कन
शबनम - तेरी निगाहों पे मर
धूल का फूल - तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
मैं चुप रहूंगी - तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो
आई मिलन की बेला - तुम्हें और क्या दूं मैं दिल के सिवा
ग़ुलाम अली - दिल ये पागल दिल मेरा क्युं बुझ गया
हरियाली और रास्ता - ये हरियाली और ये रास्ता