Yamani Bilawal
Yamani Bilawal is een Hindoestaansee raga, die gerelateerd is aan de ochtend van 06.00 tot 0.90 uur. Deze raga is afgeleid van de Kalyan That.
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झपताल
झपताल-यह दस मात्राओं की ताल है। × २ ० ३ धि ना धि धि ना ति ना धि धि ना
झपताल में कितने विभाग है?
इस ताल के 4 विभाग हैं जो की 2 मात्रा 3 मात्रा पुनः 2 मात्रा और 3 मात्रा के हैं .
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वाचस्पती
राग वाचस्पती कर्नाटक संगीत से लिया गया राग है। राग मारू बिहाग में निषाद कोमल करने से राग वाचस्पती बनता है। यह एक बहुत ही मधुर लेकिन अप्रचलित राग है।
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बिहागड़ा
वादी: ग
संवादी: नि
थाट: BILAWAL
आरोह: सागमपनिसां
अवरोह: सांनि॒प नि॒ध॒प गमगपमग रेसा
पकड़: ऩि॒ध़॒प़ गमग पमग-सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SHADAV-SAMPURN
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: उभय निषाद।यह राग खमाज एवं बिहाग रागों का मिश्रण है। खमाज से बचाव - प नि सां, सां नि प का प्रयोग बिहाग से बचाव - नि॒ ध प, ग म ग का प्रयोग
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चेरा नृत्य
लोक नृत्यों में चेरा मिज़ो जनों का बहुत पुराना पारम्परिक नृत्य है। भूमि पर आमने-सामने पुरुष बैठे होते हैं और बांसों की आड़ी और खड़ी कतारों में इन जोड़ों को लय पर खोलते और बंद करते हैं। लड़कियाँ पारम्परिक मिज़ो परिधान 'पुआनछेई', 'कवरछेई', 'वकीरिया' और 'थिहना' पहन कर नृत्य करती है तथा वे बाँस के बीच क़दम बाहर और अंदर रखती हैं। यह नृत्य लगभग सभी त्योहार के अवसरों पर किया जाता है। चेरा की यह अनोखी शैली उन सभी स्थानों पर अत्यंत मनमोहक प्रतीत होता है, जहाँ इसे किया जाता है। नृत्य के साथ गोंग और नाद-वाद्य बजाए जाते हैं। वर्तमान समय में आधुनिक संगीत भी इस नृत्य में उपयोग किया जाता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।