Skip to main content

Ustad Gulam Sadiq Khan | Raag - Bihag

Feel the resonance of evening ragas... Ustad Ghulam Sadiq Khan (22 August 1939 – 15 May 2016) was an Indian classical vocalist. He belonged to the Rampur-Sahaswan gharana. He specialized in the khayal gayaki and also sang thumri, dadra and bhajans. He performed in India and abroad in the U.K., Australia, Saudi Arabia, Oman, Mauritius, Singapore, Hong Kong, Indonesia, Thailand, China and Afghanistan. He was a top graded artist of All India Radio and Doordarshan. In 2005, he received the Padma Shri for his contribution to Indian classical music.

Playlist

Category

संबंधित राग परिचय

बिहाग

बिहाग

राग बिहाग अत्यंत ही प्रचलित और मधुर राग है। प म् ग म यह स्वर समुदाय राग वाचक है। आरोह में मध्यम से उठाव करते समय मध्यम तीव्र का प्रयोग होता है जैसे - म् प ; म् प ध ग म ग; म् प नि सा' नि ध प;। अवरोह में तीव्र मध्यम का प्रयोग मध्यम शुद्ध के साथ किया जाता है जैसे - म् ग म ग। यदि अवरोह सीधा लेना हो तो सिर्फ शुद्ध मध्यम का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा

इस राग में निषाद शुद्ध खुला हुआ लगता है अतः इसमें उलाहने जैसे प्रबंध बहुत आकर्षक लगते हैं। साधारणतया आलाप की शुरुवात मन्द्र निषाद से होती है जैसे - ,नि सा ग रे सा ; ,नि सा ,नि म ग रे सा । इसके अवरोह में रिषभ और धैवत पर न्यास नही किया जाता। इनका प्रयोग अल्प होता है जैसे - नि ध प ; म ग रे सा

यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसमें ख्याल, तराने, ध्रुवपद आदि गाए जाते हैं।

 

थाट

राग जाति

आरोह अवरोह
सा ग म प नि सा' - सा' नि धप म् प ग म ग रेसा , सा' नि ध प म् ग म ग रे सा;
वादी स्वर
गंधार/निषाद
संवादी स्वर
गंधार/निषाद