Akhilbandhu Ghosh
Akhilbandhu Ghosh (Bengali: অখিলবন্ধু ঘোষ; 20 October 1920 – 20 March 1988) was a Bengali male singer from Kolkata, West Bengal, India. He is considered as one of the greatest exponents of Bengali classical based vocal music.
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संगीत की दुनिया का अनूठा राग है ‘तानसेन समारोह’
‘तानसेन समारोह’ अपने आप में एक अनूठी मिसाल पेश करता है। इस समारोह को लेकर कई रोचक तथ्यों के बारे में शायद आपने नहीं सुना होगा इसलिये हम आपको बताते हैं कि तानसेन समारोह क्या है, इसकी शुरूआत किसने की, यह क्यों मनाया जाता है और इसकी खास बात क्या है ? इस तरह के विभिन्न सवाल आपके मन में निश्चित रूप से उठ रहे होंगे, जिसके जवाब आपको विस्तारपूर्वक नीचे दिये गए हैं।
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राग काफी
राग काफी हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
राग के अन्य नाम
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राग केदार
राग केदार हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
रात्रि के प्रथम प्रहर में गाई जाने वाली यह रागिनी करुणा रस से परिपूर्ण तथा बहुत मधुर है। इस राग में उष्ण्ता का गुण है इसलिये यह दीपक की रागिनी मानी जाती है। कुछ विद्वान इस राग के अवरोह में गंधार का प्रयोग न करके इसे औढव-षाढव मानते हैं। गंधार का अल्प प्रयोग करने से राग की मिठास और सुन्दरता बढती है। गंधार का अल्प प्रयोग मध्यम को वक्र करके अथवा मींड के साथ किया जाता है, जैसे - सा म ग प; म् प ध प ; म ग रे सा। इस अल्प प्रयोग को छोडकर अन्यथा म् प ध प ; म म रे सा ऐसे किया जाता है।
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Babanrao Haldankar
Srikrishna Haldankar (1927 – 17 November 2016), better known as Babanrao Haldankar, was an Indian classical singer, composer, and music teacher of Agra gharana of Hindustani classical music.
Life and career
Babanrao Haldankar was the son of painter Sawlaram Haldankar (1882–1968), and has won awards through his career.and was an Adjunct Professor of Indian Music at the University of Mumbai.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।