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भाषाओं की लिपियों के नाम

സ്വരസൂചകത്തെ അടിസ്ഥാനമാക്കിയുള്ള ഇന്ത്യൻ ലിപി

१८वीं -१९वीं सदी के अनेक पाश्चात्य संशोधकों ने यह भ्रमपूर्ण धारणा फैलाने का प्रयत्न किया कि भारत के प्राचीन ऋषि लेखन कला से अनभिज्ञ थे तथा ईसा से ३००-४०० वर्ष पूर्व भारत में विकसित व्राह्मी लिपि का मूल भारत से बाहर था। इस संदर्भ में डा. ओरफ्र्ीड व म्युएलर ने प्रतिपादित किया कि भारत को लेखन विद्या ग्रीकों से मिली। सर विलियम जोन्स ने कहा कि भारतीय व्राह्मी लिपि सेमेटिक लिपि से उत्पन्न हुई। प्रो. बेवर ने यह तथ्य स्थापित करने का प्रयत्न किया कि व्राह्मी का मूल फोनेशियन लिपि है। डा.

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