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ശാസ്ത്രീയ സംഗീതം കോ സമാജതി ഉണ്ട്

ശാസ്ത്രീയ സംഗീതം കോ സമാജതി ഉണ്ട്

गोल्डफिश मछलियों को आप भुलक्कड़ या असावधान समझ सकते हैं, लेकिन जब शास्त्रीय संगीत की बात आती है तो उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या पसंद है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इन मछलियों में इतनी समझ होती है वे 18वीं सदी के जर्मन संगीतकार जोहान सेबेस्टियन बाख और 20वीं सदी के रूसी संगीतकार इगोर स्ट्राविंस्की की रचनाओं में अंतर कर सकती हैं।

इसके लिए जापानी शोधकर्ताओं ने गोल्डफिश मछलियों को दोनों संगीतकारों की रचनाएं सुनाई थीं और उन्हें इस बात के लिए प्रशिक्षित किया कि वे बाख और स्ट्राविंस्की की रचनाओं में अंतर बताएं। शोधकर्ताओं का कहना है कि गोल्डफिश मछलियों ने एक ऐसी सुनने की मेकेनिज्म विकसित की जो कि बहुत जटिल शरीर रचना वाले प्राणियों में ही पाई जाती है।
जापान में टोक्यो कीओ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सिगेरू वतानाबे का कहना है कि गोल्डफिश सुनने के मामले में विशेषज्ञ प्रजाति होती है और इस बात का अध्ययन किया गया है कि क्या संगीत को लेकर इस तरह की क्षमता गैर-मनुष्य प्राणियों में पाई जाती है। वे अपने अंदरूनी कान से उन आवाजों को भी सुन लेती हैं, जिन्हें सुनने की क्षमता आधुनिक कशेरुकी (वर्टिब्रेट्‍स) प्रणियों में ही होती है।

शोधकर्ताओं ने कई प्रयोग किए और अंत में चार गोल्डफिश मछलियों को ट्रेंड किया ‍क‍ि वे संगीत की एक रचना सुनकर या तो एक मोती को काट लें। जब दूसरी रचना सुनाई जा रही हो तो वे कुछ भी न करें। संगीत रचनाओं में अंतर करने की सीखने की मछलियों की क्षमता धीमी थी। उन्हें सिखाने के लिए वैज्ञानिकों को सौ से अधिक प्रशिक्षण सत्र करना पड़े और इसके बाद ही अंतर करने में समर्थ हो सकीं।

वैज्ञा‍‍न‍िकों ने इस बात का भी परीक्षण किया कि क्या मछलियां उन संगीतकारों की दूसरी रचनाएं भी पहचान सकती हैं या नहीं, जिन्हें उन्होंने पहले कभी नहीं सुना था। लेकिन वे इन्हें पहचान नहीं सकीं और इधर-उधर तैरती रहीं। एक दूसरे प्रयोग के दौरान छह गोल्डफिश मछलियों को प्रयोग में लाया गया और वैज्ञानिकों ने पाया कि मछलियों ने किसी विशेष किस्म के संगीत के प्रति रुझान प्रदर्शित नहीं किया। लेकिन मनुष्यों की तरह मछलियों ने भी निजी पसंद दर्शाई।

एक मछली ने बाख के संगीत के संगीत को नापसंद किया और स्ट्राविंस्की को पसंद किया जबकि दूसरी मछली को स्ट्राविंस्की की रचना पसंद नहीं आई। प्रोफेसर वातानाबे का कहना है कि छह मछलियों ने टैंक के उस हिस्से को लेकर कोई रुचि प्रदर्शित नहीं की जहां संगीत बजाया गया था। इस शोध के निष्कर्षों से यह मिथक टूटा है कि गोल्डफिश मछलियां ऐसी प्राणी होती हैं जिनमें बहुत कम बुद्धि होती है। यह भी कहा जाता है कि गोल्डफिश की याददाश्त की क्षमता केवल 15 सेकंड की होती है लेकिन इस शोध गोल्डफिश मछलियों कोई बात तीन महीने की अवधि तक याद रख सकती हैं। (एजेंसी)
 

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