सूहा
राग सूहा को काफी थाट जन्य माना गया है। इसके गंधार और निषाद स्वर कोमल है। इसके आरोह में ऋषभ और धैवत और अवरोह में केवल धैवत वर्ज्य माना जाता है, इसलिये इसकी जाति औडव-षाडव मानी जाती है। वादी न और संवादी सा है। गायन समय मध्यान्ह काल है।
- Read more about सूहा
- 3 comments
- Log in to post comments
- 816 views
सौराष्ट्रटंक
Aarohanam (Ascending) : S R1 G3 M1 P M1 D2 N3 S’
Avarohanam (Descending) : S’ N3 D2 N2 D2 P M1 G3 R1 S
Saurashtram is a janya raga, derived from Suryakantam which is 17th on the Melakarta Scale.
- Read more about सौराष्ट्रटंक
- Log in to post comments
- 175 views
हंसकिंकिणी
यह राग कम प्रचलन में है। इसके निकटतम राग हैं - राग प्रदीपकी, धनाश्री और भीमपलासी। यह राग धनाश्री अंग से गाया जाता है। म प नि१ ध प ; सा' नि१ ध प ; म प ग रे सा; - यह स्वर समुदाय धनाश्री अंग बताता है। हंस किंकिणी में कोमल गंधार (म प ग१ रे सा) लगाने से यह राग धनाश्री से अलग हो जाता है।
राग के अन्य नाम
- Read more about हंसकिंकिणी
- 1 comment
- Log in to post comments
- 372 views
हंसध्वनी
यह राग कर्नाटक संगीत पद्धति से हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति में सम्मिलित किया गया है। यह राग, राग शंकरा के करीब का राग है, पर इसमें धैवत वर्ज्य है। राग हंसध्वनि में नि प सा' नि ; प नि प ग ; ग प ग रे सा लिया जाता है और राग शंकरा में नि ध सा' नि ; प ध प ग ; ग प रे ग रे सा ; लिया जाता है।
यह स्वर संगतियाँ राग हंसध्वनि का रूप दर्शाती हैं - ,नि रे ग सा ; ग प ग ; रे प ग ; नि प ग रे ; ग रे ग रे सा ; ,नि ,प ,नि रे ,नि ,प सा;
- Read more about हंसध्वनी
- Log in to post comments
- 4212 views
राजशेखर मंसूरी
Rajshekhar Mansur (born 16 December 1942) is an Indian classical vocalist of the Jaipur-Atrauli gharana. He is the son and disciple of vocalist Mallikarjun Mansur.
Early life and education
Mansur was born to singer Mallikarjun Mansur, one of the leading singers of the Jaipur-Atrauli gharana. At the age of 18 he won the gold medal in the Sangeet Visharad exam and went on to take first prize in the AIR Youth Music Competition.
He completed his M.A. in English Literature and an M.A. in Linguistics from the University of Wales on a British Council Scholarship.
- Read more about राजशेखर मंसूरी
- Log in to post comments
- 37 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।