उस्ताद विलायत खान ~ राग पीलू
Ustad Vilayat Khan Saheb plays a number of historic compositions in Raga Piloo on this Navras album a tribute to his father Ustad Inayat Khan Saheb, titled "Inayat" (NRCD 0159). One of these compositions which is presented here was composed by his father. Vilayat Khan Saheb is accompanied by Vijay Ghate on Tabla
उस्ताद विलायत खान साहब ने अपने पिता उस्ताद इनायत खान साहब को "इनायत" (NRCD 0159) शीर्षक से श्रद्धांजलि देते हुए इस नवरस एल्बम पर राग पीलू में कई ऐतिहासिक रचनाएँ निभाई हैं। इनमें से एक रचना जो यहाँ प्रस्तुत है, उसकी रचना उनके पिता ने की थी। तबला पर विजय घाटे के साथ विलायत खान साहब
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संबंधित राग परिचय
पीलू
प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा - यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है। इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है। इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।
यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -
सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
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राग
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राग पीलू का परिचय
राग पीलू का परिचय
वादी: ग॒
संवादी: नि
थाट: KAFI
आरोह: ऩिसागमपनि
अवरोह: सांनि॒धपग॒ रेसा
पकड़: ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: दिन का तृतीय प्रहर
विशेष: सप्तक के बारहो स्वरों का प्रयोग होता है। उभय ऋषभ गन्धार निषाद का उपयोग।