भाव संगीत (III Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )
1. तानपुरे ओर तबले का पूर्ण विवरण और उनको मिलाने का पूर्ण ज्ञान, आंदोलन की चौड़ाई और उसका नाद के छोटे.बड़ेपन से संबंध, 22 श्रुतियों का सात शुद्ध स्वरों में विभाजन (आधुनिक मत), प्रथम और द्वितीय वर्ष के कुल पारिभाषिक शब्दों का अधिक पूर्ण और स्पष्ट परिभाषा, थाट और राग के विशेष नियम, श्रुति और नाद में सूक्ष्म भेद, ब्यंकटमुखी के 72 थाटों की गणितानुसार रचना और एक थाट से 484 रागों की उत्पत्ति, स्वर और समय के अनुसार रागों के तीन वर्ग (रे.ध कोमल वाले राग, रे.ध शुद्ध वाले राग और ग.नी कोमल वाले राग), सन्धि प्रकाश राग, गायकों के गुण और अवगुण, तानों के प्रकार (शुद्ध या सरल, कूट, मिश्र, बोलतान), गमक, आड़, स्थाई, गीत के प्रकार - बड़ा ख्याल, धमार, होरी, टप्पा का विस्तृत वर्णन।
2. पाठ्यक्रम के रागों का पूर्ण परिचय, स्वर विस्तार तथा तान सहित।
3. इस वर्ष तथा पिछले वर्ष के सभी तालों का पूर्ण परिचय। उनके ठेकों का दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों में ताललिपि में लिखना। किसी ताल या गीत की दुगुन आदि आरम्भ करने के स्थान को गणित द्वारा निकालने की विधि का ज्ञान।
4. गीतों की स्वरलिपि लिखना। धमार तथा ध्रुपद को दुगुन, तिगुन और चौगुन में लिखना।
5. कठिन स्वर समूहों द्वारा राग पहचान।
6. पाठ्यक्रम के समप्रकृतिक रागों की तुलना।
7. भातखण्डे तथा विष्णुदिगम्बर स्वरलिपि पद्धतियों का पूर्ण ज्ञान।
8. शांरगदेव तथा स्वामी हरिदास की संक्षिप्त जीवनियां तथा उनके संगीत कार्यों का परिचय।
9. शास्त्रीय संगीत, भाव संगीत और सरल संगीत आदि संगीत के प्रयोगात्मक रूप में भेद।
10. दीपचन्दी, घमार, अद्धा और जत का पूर्ण परिचय।
महाविद्यालय
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