तानपूरा
तानपूरा अथवा ""तम्बूरा"" भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। तानपूरे में चार तार होते हैं सितार के आकार का पर उससे कुछ बड़ा एक प्रसिद्ध बाजा जिसका उपयोग बड़े बड़े गवैये गाने के समय स्वर का सहारा लेने के लिए करते हैं।
यह लंबी गर्दन वाली, सारिका (पर्दे) विहीन वीणा है, जो भारतीय संगीत में मंडरा संगीत देती है। == स्वरूप == सरिका (पडदा) वीणा शिवाय, संगीत मधे संगीत संगीत देते. तंबूर मध्य-पूर्वी वीणा से, जिससे इसकी उत्पत्ति हुई मिलता जुलता है। तंबूर मध्यपूर्वेतील वीणासारखेच आहे. आमतौर पर यह चार तारों वाला होता है, जो सा-सा-सा-प या सा-सा-सा-म पर मिले होते हैं। सहसा चार तारे आहेत, जे सा-सा-सा-पापा-पा-या-सा-सा-मा वर आढळतात. सटीक मिलान तारों एवं निचले मेरु में रेशम या ऊन के टुकड़े घुसाकर तथा तारों से जुड़े छोटे मानकों को समायोजित करके किया जाता है। तारा आणि खाली स्पायनल फ्रेम्समध्ये रेशीम किंवा ऊन च्या तुकड्यांमध्ये अचूक जुळणी केली जाते आणि ताराशी निगडीत लहान पॅरामीटर्स समायोजित केल्या जातात. स्वर की पकड़ उपलब्ध कराने के लिए तंबूरा जरूरी है, जिसके भीतर एक गायक या एकल वादक राग को उभारता है।
मुख्य अंग
तानपूरा के मुख्यत: छ: अंग होते हैं, जो निम्न है:
- तुम्बा - यह लौकी का बना हुआ गोल आकृति का होता है, जो डांड के नीचे के भाग से जुड़ा हुआ होता है।
- तबली - गोल लौकी के ऊपर का भाग काटकर अलग कर दिया जाता है और खोखले भाग को लकड़ी के एक टुकड़े से ढँक दिया जाता है, जिसे तबली कहते हैं।
- घुड़च (अथवा ब्रिज अथवा घोड़ी) - यह तबली के ऊपर स्थित लकड़ी अथवा हड्डी की बनी हुई छोटी चौकी के आकार की होती है।
- धागा - घुड़च और तार के बीच सूत अथवा धागे को ठीक स्थान पर स्थित कर देने से तम्बूरे के झनकार में वृद्धि होती है।
- कील (अथवा मोंगरा अथवा लंगोट)- तुम्बे के नीचे के भाग में तार को बांधने के लिए एक कील होती है जिसे कील कहते हैं।
- मनका - स्वरों के सूक्ष्म अन्तर को ठीक करने के लिए मोती अथवा हाथी-दाँत के छोटे-छोटे टुकड़े तानपूरे के चारों तार में घुड़च और कील के मध्य अलग-अलग पिरोये जाते हैं जिन्हें मनका कहते हैं। इनसे तार के स्वर थोड़ा ऊपर-नीचे किए जाते हैं।
वर्गीकरण
Comments
Tags
- Log in to post comments
- 4566 views
Parts Of Tanpura
Parts Of Tanpura