तबला
तबला को भी शास्त्रीय के साथ हर तरह के संगीत के साथ प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग भारतीय संगीत में मुख्य रूप से मुख्य संगीत वाद्य यंत्रों का साथ देनेवाले वाद्ययंत्र के रूप में किया जाता है। इसके दो हिस्से होते हैं, जो लकड़ी के खाले डिब्बे की तरह होते हैं और बजाते समय दोनों के लिए अलग-अलग हाथ प्रयोग किए जाते हैं। दाएं हाथ से बजाए जानेवाले यंत्र को, जो आकार में बड़ा होता है, तबला, दायाँ या दाहिना कहा जाता है। जबकि छोटे यंत्र को जो आकार में छोटा होता है और बाएं हाथ से बजाया जाता है उसे सिद्दा, या बायाँ कहा जाता है। सिद्दा को बजाते समय बाएं हाथ की उँगलियों, हथेली और कलाई का प्रयोग किया जाता है। दोनो यंत्र पुआल के एक गद्दे पर रखा जाता है जिसे छुट्टा कहा जाता है। दोनो यंत्रों के ऊपर बीच में एक काली गोल आकृति होती है जो अक्सर या तो चंदन या एक अन्य काले पदार्थ की बनी होती है जिसे स्याही कहा जाता है। ये काली आकृति चमड़े के छाल के उपर लगी होती है। यह अवनद्ध वाद्य के अंतर्गत आता है।
Tags
- Log in to post comments
- 2628 views