શાસ્ત્રીય ગાયક પંડિત મલ્લિકાર્જુન મન્સૂર
Pandit Mallikarjun Bheemarayappa Mansur (31 December 1910 - 12 September 1992) was an Indian Classical Singer of the Khyal style in the Jaipur-Atrauli Gharana of Hindustani Classical Music.
He received all 3 National Padma Awards, the Padma Shri in 1970, Padma Bhushan in 1976 and Padma Vibhushan, the 2nd highest civilian honour given by Government of India in 1992. In 1982, he was awarded the Sangeet Natak Akademi Fellowship, the highest honour conferred by the Sangeet Natak Akademi.
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পন্ডিত ভীমসেন যোশী: একটি যুগের সমাপ্তি
अपनी ओजस्वी वाणी से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के खजाने को समृद्धि के नए शिखर पर ले जाने वाले पंडित भीमसेन जोशी का पुणे में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
उनके परिवार ने बताया कि जोशी जी को 31 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वृद्धावस्था की परेशानियों के कारण उनके गुर्दे और श्वसन तंत्र ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके बाद उन्हें जीवन रक्षक तंत्र पर रखा गया था।
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সুরগুলো প্রতিধ্বনিত হবে যুগ যুগ ধরে...
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक युग का सोमवार को अवसान हो गया। पर इस युग के पुरोधा और ‘भारत रत्न’ पंडित भीमसेन जोशी ने सुरों को उस ऊँचाई पर पहुँचा दिया कि आने वाले कई युगों तक ये स्वर हवाओं में तैरते रहेंगे।
पंडित भीमसेन जोशी उन महान कलाकारों में से थे जो अपनी सुरमयी आवाज से हर्ष और विषाद दोनों ही भावों में जान डालकर श्रोताओं के दिल में गहरे तक बस चुके थे।
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রহমানের জন্য 'জয় হো' বলুন
ऐसा कहा जाता है कि रचनात्मकता के इलाके में काम की शुरूआत करने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि आप जिस इलाके में काम करना चाहते है उस इलाके में पहले कौन-कौन किस तरह का बेहतरीन काम कर चुके हैं। यदि बात हिंदी फिल्म संगीत की की जाए तो यह दुनिया एक से एक मीठी और नशीली धुनों से लबालब है कि आप एक न उतरने वाले नशे में हमेशा झूमते-नाचते रहें। ऐसी-ऐसी उदास और दिल को किसी अथाह अंधेरे जल में डुबो देने वाली धुनें भी हैं कि आप देवदास बनकर आत्मघाती तक हों उठें।
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পণ্ডিত রবিশঙ্কর সেতার বাজানো পরিবার।
पंडित रविशंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत का ऐसा चेहरा हैं, जिन्हें विश्व संगीत का गॉडफादर कहा गया है। वे केवल सितार वादक नहीं, बल्कि एक घराना हैं जिसका नई पीढ़ी के साधक अनुसरण कर रहे हैं।
पंडित रविशंकर देश के उन प्रमुख साधकों में से हैं, जो देश के बाहर काफी लोकप्रिय हैं। वे लंबे समय तक तबला उस्ताद अल्ला रक्खा खाँ, किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के साथ जुड़े रहे।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।