सुरों को मैं माँ को अर्पित

जिस प्रकार सा जनक हैं सारे सुरों का ,साम गान जनक हैं शास्त्रीय संगीत का जिसके जैसा संगीत सारे संसार में कही नही हैं .साम वेद और चारो वेद अलौकिक और दुर्लभ हैं.
संस्कृत भी वह भाषा हैं जो सारी भाषाओ की जननी हैं .

दूसरा स्वर हैं ऋषभ,अर्थात रे,राग व् रस से परिपूर्ण कलाओ से समृध्ध हैं माँ तेरा आँचल,कही नही वह ६४ कलाए माँ तेरे आँगन में सुंदर बालको सी रात - दिवस खेल रही हैं ,अपनी सुंदर उपस्तिथि से तेरे रूप वैभव को द्विगुणित कर रही हैं.

गज़ल: सुंदर सांगीतिक विधा

संगीत से चाहे कितना ही अल्प परिचय क्यों न हो!शास्त्रीय संगीत की राग रचना,आलाप,सुरताल का ग्यान हो,न हो,लोक संगीत की सरसता,प्रवाहशीलता में मन बहे न बहे,फ़िल्म संगीतकी सुरीली झंकारों पर पाव थिरके न थिरके,पर गज़ल वह विधा हैं कि हर किसी को पसंदआती हैं,हर किसी को अपनी सी लगती हैं,हर कोई सुनना पसंद करता हैं,गुनगुनाना पसंदकरता हैं,सच कहे तो कभी यह अपने ही दिल कि बात सुनाती सी,कहती सी लगती हैं इसलिएआज जब कई अन्य सांगीतिक विधाये अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं,तब गज़लहर मन छा गई हैं,हर दिल पर राज कर रही हैं।

बंसी की स्वर यात्रा

बंसीधर कृष्ण कहनैया। भगवान श्रीकृष्ण को इस नाम से पुकारा जाता हैं,जैसे बंसी और कृष्ण एक दुसरे के पर्याय हो ।
इस बंसी के जन्म के संबंध में महाकवि कालिदास ने कुमार सम्भव में कल्पना की हैं कि , भौरों द्वारा छिद्रित वंश - नलिका में वायु के प्रवेश से उत्पन्न मधुर ध्वनी को सुनकर किन्नरों ने उसे वाद्य के रूप में प्रचलित किया । यह वाद्य बहुत पुराना हैं,भारत के नाट्य शास्त्र में भी वंशी का वर्णन हैं , महाभारत ,श्रीमत्भागवत में भी वंशी या बांसुरी का वर्णन हैं ,सूरदास ने लिखा हैं ,
"मेरे स्वव्रे जब मुरली अधर धरी
सुनी थके देव विमान । सुर वधु चित्र समान ।

अपणा गिरधर कै कारणै -मीराँबाई

मीरा माधव
अपणा गिरधर कै कारणै, (वा) मीराँ वैरागण हो गई (रे) (टेर)
जबतै सिर पर जटा रखाई, नैणाँ नींद गई (रे)।।1।।
दण्ड कमण्डल और गूदड़ी, सिर पर धार लई (रे)।।2।।
छापा तिलक बनाये छबि सों, माला हात रही (रे)।।3।।
दोउ कुछ छाँड भई वैरागण, हरि सों टेर दई (रे)।।4।।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, गोविन्द सरण भई (रे)।।5।।

राग-सोरठ वा झँझोटी वा माड
(आत्मकथा)

Mian-ki-Todi

Todi, also known as Mian-ki-Todi (Miyan-ki-Thodi), is a very common morning rag.  However, there is a certain disagreement as to its structure.  According to some, all seven notes are used in both the ascending and descending structures; according to this approach, this rag is sampurna - sampurna.  Others suggest that the Pa is absent in the arohana but present in the avarohana; according to this approach this rag is shadav - sampurna.  Here we are presenting the sampurna - sampurna version.  There is also disagreement concerning the vadi and the samvadi.

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय