Skip to main content

बिहार

पंवड़िया नृत्य

पंवड़िया नृत्य बिहार के प्रमुख लोक नृत्यों में गिना जाता है। यह नृत्य मुख्यतया पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस लोक नृत्य को जन्मोत्सव आदि के शुभ अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।

खोडलिन नृत्य

खोडलिन नृत्य बिहार में प्रचलित लोकप्रिय लोक नृत्य है। यह नृत्य पेशेवर नर्तकियों द्वारा किया जाता है। यह लोक नृत्य सामन्तवादी व्यवस्था की देन है।

गोड़उ नाच

भोजपुरी माटी की गंध लिए गोड आदिवासी समुदाय के लोगों का पारंपरिक नृत्य प्रसिद्द गोड़ऊ का नाच पंचकोशी मेला के दौरान माता अहिल्या के मंदिर प्रांगण में अपना रंग जमा रहा था | अपनी मनौतियाँ पूरी होने पर महिलाएं अपने आँचल पर इस नर्तकों का नृत्य करवाती हैं | नर्तक मंडली के मुखिया रामनाथ गोंड़ ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा यह नृत्य पारम्परिक रूप से करीब 400 वर्षों से भी अधिक समय से किया जाता है |  पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया और बलिया जिलों में 'गोड़उ' नाच का प्रचलन है। इसमें नृत्य के साथ प्रहसन भी होता है। नृत्य का प्रमुख भाग 'हरबोल' कहा जाता है। यह प्रहसन के रूप में जो भी करता है उसे 'हरबोलाई' क

विदेशिया नृत्य

यह उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों के भोजपुरी भाषी क्षेत्र का एक प्रमुख एवं ग्रामीण जनता में सर्वाधिक प्रचलित लोक-नृत्य है। विदेशिया अथवा बिदेशिया नृत्य भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख लोक नृत्य शैलियों में से एक नृत्य है।

अहीरों का नाच

अहीरों का नाच (फरुवाही): अहीर स्वयं में एक संस्कृति है। यह वीरों की संस्कृति है। लोरिकी, बिरहा, गड़थैया, कुर्री-फुर्री-कलैया, मानो जैसे कि वे पेट से ही सीख कर आते हैं। परन्तु ऐसा माना जाता है कि अहीर 'उज़बक' होते है और उनकी पत्नियां बुद्धिमती होती हैं। पुरुष डोर, चौरासी, शहनाई, घुँघरू पहनकर हाथ में धुधुकी लेकर धोती कुरता पहनकर सिर पर पगड़ी बांधकर उछाल कूद करते हुए गीत की पंक्तियाँ टेरते हैं। ये बीच- बीच में 'हा- हा', 'हू-हू' की आवाज़ करते हैं। कलैया मरते हैं। नाचते समय ये 'लोरकी गाथा' की पंक्तियाँ अथवा 'बिरहा' की पंक्तियाँ दुहराते हैं।

जोगीड़ा नृत्य

जोगीड़ा नृत्य बिहार का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। यह बिहार के सर्वाधिक लोकप्रिय नृत्यों में से एक है। जोगीड़ा नृत्य सम्पूर्ण बिहार में आयोजित किया जाता है। नृत्य का आयोजन भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली पर होता है।

झरनी नृत्य

झरनी नृत्य बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य बिहार के मुस्लिमों में बहुत लोकप्रिय है। इस नृत्य का आयोजन मुहर्रम के अवसर पर होता है।

झिझिया नृत्य

झिझिया मिथिलांचल का एक प्रमुख लोक नृत्य है। दुर्गा पूजा के मौके पर इस नृत्य में लड़कियां बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है। मिथिलांचल के इस नृत्य में कुवारीं लड़कियां अपने सिर पर जलते दिए एवं छिद्र वाली घड़ा को लेकर नाचती हैं। 

झिझिया नृत्य बिहार का लोक नृत्य है, जिसका आयोजन दुर्गा पूजा के अवसर पर किया जाता है। पूर्णतः महिलाओं के इस लोक नृत्य में ग्राम की महिलाएँ अपनी सखी-सहेलियों के साथ एक घेरा बनाकर नृत्य करती हैं।

संबंधित राग परिचय