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गुणकली

गुणकली

करुणा और भक्ति रस से परिपूर्ण यह प्रातः कालीन राग श्रोताओं की भावनाओं को आध्यात्मिक दिशा की और ले जाने में समर्थ है। राग दुर्गा में रिषभ और धैवत कोमल करने से राग गुणकली का प्रादुर्भाव हुआ है। धैवत कोमल इसका प्राण स्वर है जिसके बार बार प्रयोग से राग गुणकली का प्रभाव स्पष्ट हो जाता है।

यह राग, भैरव थाट के अंतर्गत आता है। गुणकली एक मींड प्रधान राग है। यह एक सीधा राग है और इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुणकली का रूप दर्शाती हैं -

पंडित बिमलेंदु मुखर्जी - सितार पाठ @ राग: गुनकली

Bimalendu, father of Budhaditya Mukherjee... ALL INDIA RADIO program - Raga Gunkali

Hindustani Classicals!
Pandit Bimalendu Mukherjee - Sitar Recital
• Raag : Gunkali (AIR Recording)
• Taal : Teentaal (16 Beats)
• Audio Credits : Edward Powell

संबंधित राग परिचय

गुणकली

करुणा और भक्ति रस से परिपूर्ण यह प्रातः कालीन राग श्रोताओं की भावनाओं को आध्यात्मिक दिशा की और ले जाने में समर्थ है। राग दुर्गा में रिषभ और धैवत कोमल करने से राग गुणकली का प्रादुर्भाव हुआ है। धैवत कोमल इसका प्राण स्वर है जिसके बार बार प्रयोग से राग गुणकली का प्रभाव स्पष्ट हो जाता है।

यह राग, भैरव थाट के अंतर्गत आता है। गुणकली एक मींड प्रधान राग है। यह एक सीधा राग है और इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुणकली का रूप दर्शाती हैं -

,ध१ ,ध१ सा ; रे१ रे१ सा ; रे१ म ; म म प म ; प प ध१ म ; प म रे१ ; रे१ सा ,ध१ ,ध१ सा ; म प ध१ सा' ; सा' रे१' सा' ध प ; रे१' सा' ध१ प ; ध१ म प ध१ ; म रे१ सा;

थाट

राग जाति

आरोह अवरोह
स रे म प ध स - स ध प म रे रे स, ध स
वादी स्वर
धैवत/रिषभ
संवादी स्वर
धैवत/रिषभ