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सामंतसारंग

सामंत सारंग

राग सामंत सारंग काफी थाट जन्य माना गया है। आरोह में गंधार और धैवत तथा अवरोह में केवल गंधार स्वर वर्जित हैं। इसलिये इसकी जाति ओडव-षाडव है। ऋषभ वादी और पंचम संवादी माना जाता है। गायन समय मध्याह्न काल है। दोनों निषाद तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है।

आरोह– सा रे म प नि सां।

अवरोह– सां नि ध प म रे सा।

राग के अन्य नाम

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