Skip to main content

सारंग अंग

श्याम कल्याण

राग श्याम कल्याण बडा ही मीठा राग है। यह कल्याण और कामोद अंग (ग म प ग म रे सा) का मिश्रण है।

इस राग को गाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। गंधार आरोह मे वर्ज्य नही है, तब भी ग म् प नि सा' नही लेना चाहिये, बल्कि रे म् प नि सा' लेना चाहिये। गंधार को ग म प ग म रे साइस तरह आरोह में लिया जाता है। सामान्यतः इसका अवरोह सा' नि ध प म१ प ध प ; ग म प ग म रे सा इस तरह से लिया जाता है। अवरोह में कभी कभी निषाद को इस तरह से छोड़ा जाता है जैसे - प सा' सा' रे' सा' नि सा' ध ध प

कीरवाणी

यह कर्नाटक संगीत से हिन्दुस्तानी संगीत में लिया हुआ राग है। इस राग का वाद्य संगीत में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। यह चन्चल प्रक्रुति का राग होने कि वजह से इसमे ठुमरी जैसी बंदिशें ज्यादा प्रचिलित हैं। फिल्म संगीत में भी इस राग का बहुत उपयोग किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग कीरवाणी का रूप दर्शाती हैं -

सा रे ग१ म ध१ प ; ध१ प म ग१ रे ग१ म प ; प ध१ नि सा' नि ध१ प ; प ध१ नि सा' ; प ध१ सा' रे' ; सा' रे' ग१' रे' सा' नि ध१ प ; प ध१ नि रे' नि ध१ ; नि ध१ म ; ध१ म ग१ रे१; ग१ प म ग१ रे सा ,नि ; ग१ रे सा ,नि ,ध१ ,नि रे सा ;

संबंधित राग परिचय