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झांझ नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है

झांझ

करताल का बड़ा आकार ही झांझ कहलाता है। आकार में बड़ा होने की वजह से इसकी आवाज में करताल से ज्यादा गूंज होती है। थाला कांसा से निर्मित थाली होती है। इसका गोलाकार किनारा दो-तीन इंच उठा हुआ होता है। बीच में छेद होता है, जिसमें रस्सी पिरोकर झुलाया जाता है। बायें हाथ से रस्सी थाम कर हाथ दायें से इसे भुट्टे की खलरी से बजाया जाता है।

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