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Pt. Rajendra Prasanna | Raag - Charukeshi

Feel the resonance of evening ragas... Rajendra Prasanna, (राजेन्द्र प्रसन्ना) born 15 April 1956 is an Indian classical flautist and shehnai (Indian oboe) player from Benares Gharana. He was one of the top grade artist of All India Radio Rajendra was the recipient of various awards and honors including Uttar Pradesh Sangeet Natak Academy Award - Flute & Shehnai (1995). He performed Edinburgh festival (UK), Sydney Opera House, WOMAD Festival (Australia, New Zealand), World Music festival for golden jubilee celebration for India's Independence held in America, Canada and Switzerland (U.N.O. Headquarters) in 1997, Concert for George in London (Ravi Shankar project), Opera de Lyon in France.

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संबंधित राग परिचय

चारुकेशी

राग चारुकेशी अपेक्षाकृत नया राग है जिसे दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति से लिया गया है। यह बहुत ही मधुर राग है जिसे तीनों सप्तकों में बिना किसी रोक टोक के गाया जा सकता है। धैवत और निषाद कोमल होने के कारण यह राग उत्तरांग मे अनूठी सुन्दरता दर्शाता है।

इस राग में पंचम स्वर को कभी-कभी आरोह और अवरोह में छोड़ा जाता है जैसे - ग म ध१ प और प ध१ नि१ ध१ म ग रे। इस राग में कई रागों की छाया दिखाई देती है जैसे- सा रे ग म - नट अंग, ग म ध१ प - भैरव अंग, नि१ सा' रे' सा' ध१ ; ध१ नि१ रे सा' - दरबारी की छाया, रे ग म रे सा - नट भैरव अंग। इन सभी अंगों के मिश्रण से ही राग चारुकेशी का अपना स्वतंत्र अस्तित्व सामने आता है।

यह स्वर संगतियाँ राग चारुकेशी का रूप दर्शाती हैं - म ग रे ; ग रे सा ; ,नि१ ,ध१ सा ; सा रे ग म ; रे ग म रे सा ; ग म ध१ प ; म ग रे ; ग म प ध१ नि१ सा' ; ग म ध१ नि१ ; नि१ सा' ; नि१ सा' रे' सा' ध१ ; ध१ नि१ रे' सा' ; नि१ सा' नि१ ध१ प ; प ध१ नि१ ध१ म ; ग रे ग म रे सा ; ,नि१ ,ध१ ,नि१ रे सा ; म प ध१ नि१ सा' रे' ; सा' रे' ग' रे' ; ग' रे' नि१ ध१ सा' ; सा' नि१ ध१ प ; ध१ म ग रे ; ग म ध१ प ; ग म रे सा ; ,नि१ ,ध१ ,नि१ रे सा;

आरोह अवरोह
सा रे ग म प ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म ग रे सा ,ध१ ,नि१ सा;
वादी स्वर
षड्ज/मध्यम
संवादी स्वर
षड्ज/मध्यम