संहिता नंदी
Sanhita Nandi is a prominent Hindustani classical vocalist of the Kirana Gharanahe central motif of her style is slow tempo raga development (voice culture, voice throw, and tonal application) and ornamented sargams. She is getting guidance under Mashkoor Ali Khan.
Early life
Sanhita Nandi was trained under the late A. Kanan of Kirana Gharana,[3] the senior most guru at the ITC Sangeet Research Academy.
Career
Sanhita Nandi performing in Sawai Gandharva in Pune
Sanhita Nandi performing in Tansen Sangeet Samaroh in Gwalior
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शास्त्रीय गायक आणि संगीततज्ज्ञ पंडित ओंकारनाथ ठाकूर
Pandit Omkarnath Thakur (24 June 1897 - 29 December 1967), his name often preceded by the title Pandit, was an influential Indian Educator, Musicologist and Hindustani Classical Vocalist. He is famously known as "Pranav Rang", his pen-name. A disciple of Classical Singer Pt. Vishnu Digambar Paluskar of Gwalior Gharana, he became the principal of Gandharva Mahavidyalaya, Lahore, and later went on become the first dean of the music faculty at Banaras Hindu University.
• Early life and training :
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তবলা বাদক ও গুরু পদ্মভূষণ পণ্ডিত নিখিল ঘোষ
Pandit Nikhil Jyoti Ghosh (28 December 1918 – 3 March 1995) was an Indian musician, teacher and writer, known his proficiency on the percussion instrument of Tabla. He founded Sangit Mahabharati, an institution of music in 1956, and performed on various stages in India and abroad. A recipient of the Ustad Hafiz Ali Khan Award, his style was known to have been aligned with the Delhi, Ajrada, Farukhabad, Lucknow and Punjab gharanas of Tabla. The Government of India awarded him the third highest civilian honour of the Padma Bhushan, in 1990, for his contributions to Music.
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मग मी मंगलेश डबराल यांची राग दुर्गा ही भावपूर्ण रचना ऐकली.
शास्त्रीय संगीत के विलक्षण कलाकार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत पंडित भीमसेन जोशी नहीं रहे। कवि मंगलेश डबराल ने उन पर सुंदर भावपूर्ण रचना लिखी थी। वेबदुनिया पाठकों के लिए प्रस्तुत है मंगलेश डबराल की संवेदनशील रचना :
राग दुर्गा
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अमीर खुसरो चरित्र
अबुल हसन अमीर ख़ुसरु चौदहवीं सदी के आसपास दिल्ली के पास रहने वाले एक प्रमुख कवि (शायर), गायक और संगीतकार थे। खुसरो को हिन्दुस्तानी खड़ीबोली का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है।किसके द्वारा? वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा को हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है।
आरंभिक जीवन :
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।