भारतीय संगीताने जगासमोर रंगत आणली

पंडित जसराज मानते हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत पर पश्चिमी सभ्यता का कोई असर नहीं पड़ा है। इस संगीत को बढ़ावा देने के लिए वह अपने साथियों के साथ देश के कई शहरों में कार्यक्रमों की सीरिज शुरू की है। उनका खास इंटरव्यू...

ശ്രുതിമധുരമായ സംഗീത ജീവിതം

संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो कभी न कभी संगीत से अभिभूत न हुआ होगा। जहाँ तक भारत का प्रश्न है सदियों से हमारा संगीत से नाता रहा है।

അമിതാഭിന് ഭാരതരത്നം ലഭിക്കണം: ലത

सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर कहती हैं कि अमिताभ बच्चन का हिंदी सिनेमा जगत को जो योगदान है वो अमूल्य है.

लता जी कहती हैं, ''अमिताभ बच्चन इस उम्र में भी काम कर रहे हैं. काम के प्रति उनका उत्साह देखते ही बनता है, मुझे लगता है कि उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए.''

हाल ही में अपना 82वां जन्मदिन मनाया लता मंगेशकर ने. उनके जन्मदिन के मौके पर एक म्यूज़िक रिकॉर्ड कंपनी ने लता जी के मराठी भाषा में गाये गानों का एक एल्बम निकला. लता जी ने बताया की इस एल्बम में 1942 से लेकर आज तक के उनके गाये हुए सारे मशहूर गाने हैं.

ഉച്ചത്തിലുള്ള ശബ്ദവും അപകടകരമാണ്

ऊँची आवाज़ में संगीत सुनने से केवल आपके कानों को ही नुक़सान नहीं होता बल्कि इसके कुछ और भी ख़तरे हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊँची आवाज़ में संगीत सुनने से फेफड़े भी बेकार हो सकते हैं.

श्वास प्रणाली की विशेष स्वास्थ्य पत्रिका थोरेक्स में के ताज़ा अंक में ऐसे चार मामलों के बारे में लिखा गया है जिनमें संगीत प्रेमियों को न्यूमोथोरैक्स नाम की एक बीमारी हुई है.

एक व्यक्ति कार चला रहा था जब उसे न्यूमोथोरैक्स का अनुभव हो हुआ. यह अनुभव था साँस लेने में तकलीफ़ और सीने में दर्द.

ഒരു പ്രത്യേക ശബ്ദത്തെ ശബ്ദം എന്ന് വിളിക്കുന്നു

ध्वनि, झरनों की झरझर, पक्षियों का कूजन किसने नहीं सुना है। प्रकृति प्रदत्त जो नाद लहरी उत्पन्न होती है, वह अनहद नाद का स्वरूप है जो कि प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन जो नाद स्वर लहरी, दो वस्तुओं के परस्पर घर्षण से अथवा टकराने से पैदा होती है उसे लौकिक नाद कहते हैं।
वातावरण पर अपने नाद को बिखेरने के लिये, बाह्य हवा पर कंठ के अँदर से उत्पन्न होने वाली वजनदार हवा जब परस्पर टकराती है, उसी समय कंठ स्थित 'स्वर तंतु' (Vocal Cords) नाद पैदा करते हैं। अत: मानव प्राणी द्वारा निर्मित आवाज लौकिक है।

 

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय