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शास्त्रीय संगीत का भविष्य सुनहरा

रिमेंबरिंग महात्मा गाँधी

अपने नए एलबम रिमेंबरिंग महात्मा गाँधी की रिलीज के अवसर पर सोमवार रात यहाँ दिग्गज सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के सुनहरे भविष्य की भविष्यवाणी की।

इस एलबम में उस्ताद ने अपने दोनों प्रतिभावान पुत्रों अयान और अमान अली के साथ 'रघुपति राघव राजाराम', 'एकला चलो रे' और 'वैष्णव जन तो' जैसे छह मशहूर गीतों की धुनों को सरोद के तारों पर उतारा है।

उस्ताद अमजद अली खान के इस नए एलबम को कल रात यहाँ जारी करते हुए भारतीय उच्चायुक्त कमलेश शर्मा ने कहा कि खान साहब भारतीय संस्कृति के एक महान राजदूत हैं।
इस अवसर पर नेहरू सेंटर में विशेष रूप से आमंत्रित लोगों के सवालों का जवाब देते हुए उस्ताद ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत का भविष्य बहुत ही सुनहरा है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास सबसे अधिक संगीतकार हैं, जिसमें 100 के करीब सरोद वादक और 500 से अधिक तबला वादक शामिल हैं।

उस्ताद अमजद अली ने क्षोभ व्यक्त किया कि स्टेट ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन के अलावा अन्य टेलीविजन चैनल भारतीय संगीत और संगीतकारों को बढ़ावा देने में काफी कम योगदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केवल दूरदर्शन पर ही शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम और महान संगीतकारों पर निर्मित लघु फिल्में दिखाई जाती हैं।

62 वर्षीय उस्ताद ने भारतीय संगीत को सूर्य की उपमा देते हुए कहा कि इसकी हजारों किरणें हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में छह पुश्तों से लोग सरोद वादन कर रहे हैं और उनके पूर्वजों ने कई सौ सालों में इस वाद्य यंत्र का विकास किया तथा समय-समय पर इसमें बदलाव किया है।