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शाम के राग | वोकल और इंस्ट्रुमेंटल

The tranquil mood of the Kalyans, gradually but briefly give place to lyrical and romantic ragas like Anandi, Tilang and Kedar, ragas suitable alike for late evening or early night. The volume begins with a sitar rendition of raag Yaman by Shahid Parvez, followed by Pandit Jasraj's vocal rendition of raag Shankara and then the raag Mishra Ghara, of the Kafi that, sung by Shruti Sadolikar. The Mishra Ghara/Gara is famously associated with the song Raghupati Raghav Raja Ram, a song on

कल्याणियों का शांत मिजाज, धीरे-धीरे लेकिन संक्षेप में आनंदी, तिलंग और केदार जैसे गेय और रोमांटिक रागों को जगह देता है, जो देर शाम या जल्दी रात के लिए उपयुक्त होते हैं। वॉल्यूम की शुरुआत शाहिद परवेज द्वारा राग यमन के सितार गायन के साथ होती है, इसके बाद पंडित जसराज द्वारा राग शंकरा की गायन और फिर श्रुति सादोलीकर द्वारा गाए गए कफी के राग मिश्रा घर से। मिश्रा घर/गारा प्रसिद्ध रूप से रघुपति राघव राजा राम के गीत से जुड़ा है, जो कि एक गीत है

संबंधित राग परिचय

കേദാർ (രാഗം)

കേദാർ (രാഗം) : കേദാര എന്നും അറിയപ്പെടുന്ന കേദാർ ഒരു ഹിന്ദുസ്ഥാനി ക്ലാസിക്കൽ രാഗം ആണ്. ഇന്ത്യൻ ക്ലാസിക്കൽ സംഗീതത്തിലെ ഒരു ഉയർന്ന നിരയിലുള്ള ഈ രാഗം ഭഗവാൻ ശിവൻെറ പേരിലാണ് അറിയപ്പെടുന്നത്. സമർത്ഥവും ശ്രുതിമധുരവുമായ ഈ രാഗം സങ്കീർണ്ണവും എന്നാൽ വാക്കുകളിൽ പ്രകടിപ്പിക്കാൻ പ്രയാസമാണ്. കല്യാൺ ഥാട്ടിൽ നിന്നാണ് ഈ രാഗം ഉത്ഭവിച്ചത്


रात्रि के प्रथम प्रहर में गाई जाने वाली यह रागिनी करुणा रस से परिपूर्ण तथा बहुत मधुर है। इस राग में उष्ण्ता का गुण है इसलिये यह दीपक की रागिनी मानी जाती है। कुछ विद्वान इस राग के अवरोह में गंधार का प्रयोग न करके इसे औढव-षाढव मानते हैं। गंधार का अल्प प्रयोग करने से राग की मिठास और सुन्दरता बढती है। गंधार का अल्प प्रयोग मध्यम को वक्र करके अथवा मींड के साथ किया जाता है, जैसे - सा म ग प; म् प ध प ; म ग रे सा। इस अल्प प्रयोग को छोडकर अन्यथा म् प ध प ; म म रे सा ऐसे किया जाता है।

मध्यम स्वर से उठाव करते समय मध्यम तीव्र का प्रयोग किया जाता है यथा - म् प ध प ; म् प ध नि सा'; म् प ध प सा'; इस प्रकार पंचम से सीधे तार सप्तक के सा तक पहुंचा जाता है। अवरोह में निषाद का प्रयोग अपेक्षाक्रुत कम किया जाता है जैसे - सा' रे' सा' सा' ध ध प। मध्यम शुद्ध की अधिकता के कारण षड्ज मध्यम भाव के प्रयोग में निषाद कोमल का प्रयोग राग सौन्दर्य के लिये अल्प मात्रा में किया जाता है जैसे - म् प ध नि१ ध प म। दोनों मध्यम का प्रयोग साथ साथ करने से राग की सुंदरता बढती है। यह राग उत्तरांग प्रधान है।

 

थाट

राग जाति

पकड़
साम मप धपम रेसा
आरोह अवरोह
साम मप धप निध सां सां निधप म॓पधपम रेसा
वादी स्वर
संवादी स्वर
सा