Vocalist and Guru Pandit Kashinath Shankar Bodas
Pandit Kashinath Bodas (4 December 1935 - 20 July 1995) was a rare combination of superb performing vocalist, composer, and a devoted teacher of the art of Hindustani classical music.
- Read more about Vocalist and Guru Pandit Kashinath Shankar Bodas
- Log in to post comments
- 201 views
Flutist and Musicologist Padma Shri Pandit Vijay Raghav Rao
Pandit Vijay Raghav Rao (Vijaya Raghava Rao) (3 November 1925 - 30 November 2011) was an Indian flutist, composer, choreographer, musicologist, poet and fiction writer.
He was awarded the Padma Shri by Government of India in 1970, and in 1982 the Sangeet Natak Akademi in Creative and Experimental music category, the highest for performing artist conferred by the Sangeet Natak Akademi, India's National Academy for Music, Dance and Drama.
- Read more about Flutist and Musicologist Padma Shri Pandit Vijay Raghav Rao
- Log in to post comments
- 146 views
Gopika Basant
Gopi Basant
Thaat: Asavari
Jati: Chhadav-Chhadav (6/6)
Vadi: S
Samvadi: P
Vikrit: G,D & N Komal
Virjit: R both ways
Aroh: S g m P d n S*
Avroh: S* n d P m g S
Time: Morning
यह एक बहुत ही मीठा राग है। इस राग में राग मालकौन्स की झलक दिखाई देती है, पर पंचम का उपयोग करने से यह राग मालकौन्स से अलग दिखाई देता है। आरोह में पंचम का उपयोग कम किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग गोपिका बसंत का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about Gopika Basant
- Log in to post comments
- 352 views
Gauri (Bhairav Ang)
Gaud Sarang
यह दिन के तीसरे प्रहर में गाया जाने वाला सुमधुर राग है। सारंग अंग के सभी रागों के पश्चात इस राग को गाने की प्रथा है। इस राग का वादी स्वर गंधार और संवादी स्वर धैवत है जबकि राग सारंग में ये दोनों स्वर वर्ज्य हैं। इस राग में सिर्फ प-रे की संगति ही सारंग राग को दर्शाती है। इस राग का अपना स्वतंत्र रूप है और आरोह-अवरोह में आने वाली वक्रता से ही राग स्पष्ट होता है। ग रे म ग ; प रे सा यह स्वर संगतियां राग वाचक हैं और प्रत्येक आलाप में इसका प्रयोग होता है।
- Read more about Gaud Sarang
- Log in to post comments
- 4934 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।