डैरूं
यह डमरू का बड़ा रूप है। यह आम की लकड़ी के दोनों तरफ बारीक खाल मढ़ कर बनाया जाता है तथा रस्सियों से कसा होता है। एक हाथ से पकड़ कर डोरियों पर दबाव डाल कर कसा व ढीला छोड़ा जाता है तथा दूसरे हाथ से लकड़ी की पतली डंडी के आघात से इसे बजाया जाता है। यह जाहरपीर गोगा के भक्तों का प्रमुख वाद्य है।
- Read more about डैरूं
- Log in to post comments
- 862 views
ढप
चंग या ढप- इसे होली के अवसर पर बजाया जाता है। यह 'ताल वाद्य' लकड़ी की गोल रिंग के एक ओर बकरे की खाल मढ़ कर बनाया जाता है। इसे दोनों हाथों से बजाया जाता है।
- Read more about ढप
- Log in to post comments
- 102 views
धौंसा
यह भी नगाडे की तरह का वाद्य है। यह आम या फरास की लकड़ी के घेरे पर भैंस का चमड़ा मढ़ कर बनाया जाता है। इसे गणगौर या अन्य मेलों की सवारी के समय घोड़े पर दोनों तरफ रख कर लकड़ी के डंडों से बजाया जाता है। प्राचीन समय में रणक्षेत्र के वाद्य समूह में इसका वादन किया जाता था। कहीं-कहीं बड़े-बड़े मंदिरों में भी इसका वादन होता है।
- Read more about धौंसा
- Log in to post comments
- 670 views
नौबत
नौबत अवनद्ध वाद्य है जिसे प्रायः मंदिरों या राजा-महाराजाओं के महलों के मुख्य द्वार पर बजाया जाता था। इसे धातु की लगभग चार फुट गहरी अर्ध अंडाकार कूंडी को भैंसे के खाल से मढ़ कर चमड़े की डोरियों से कस कर बनाया जाता है। इसे लकड़ी के डंडों से बजाया जाता है।
- Read more about नौबत
- Log in to post comments
- 717 views
ढोल
राजस्थान के लोक वाद्यों इसका प्रमुख स्थान है। यह लोहे या लकड़ी के गोल घेरे पर दोनों तरफ चमड़ा मढ़ कर बनाया जाता है। इस पर लगी रस्सियों को कड़ियों के सहारे खींच कर कसा जाता है। वादक इसे गले में डाल कर लकड़ी के डंडे से बजाता है।
- Read more about ढोल
- Log in to post comments
- 224 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।