अमोनकर का निधन शास्त्रीय संगीत को बड़ी क्षति : लता मंगेशकर

अमोनकर

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने किशोरी अमोनकर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए बड़ी क्षति है।
 
जानी-मानी शास्त्रीय गायिका अमोनकर का सोमवार रात अपने आवास पर निधन हो गया। वे 84 वर्ष की थीं। लता ने ट्वीट कर अमोनकर की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
 

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत कई नेता पंडित जसराज के निधन से दु:खी

पंडित जसराज

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं ने देश के महान शास्त्रीय गायकों में शुमार पंडित जसराज (Pandit Jasraj) के निधन (death) पर शोक प्रकट किया है। पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यूजर्सी में सोमवार प्रात: अंतिम सांस ली। उनका हृदय गति रुकने से निधन हुआ। उनकी बेटी दुर्गा जसराज (Durga Jasraj) ने यह जानकारी दी। वह 90 साल के थे।

ह्यूस्टन में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम

ह्यूस्टन में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम

अमेरिका। इस शहर में यह एक बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम था। 15 जून, 2013 को टैगोर सोसायटी ऑफ ह्यूस्टन (टीएसएच) ने दो अन्य संस्‍थाओं के साथ मिलकर भारतीय अमेरिकी संगीतप्रेमियों के लिए भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम पेश किया। इवलिन रूबेंस्टीन ज्यूइश कम्युनिटी सेंटर के कैप्लान थिएटर में आयोजित इस कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के दिग्गजों पंडित तेजेन्द्र नारायण मजूमदार (सरोद), पंडित तन्मय बोस (तबला) ने अपना वादन पेश किया।

पंडित जसराज ने पहुंचाया शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता को नई ऊंचाई पर

 पंडित जसराज ने पहुंचाया शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता को नई ऊंचाई पर

'हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले' पंडित जसराज (Pandit Jasraj) ने इस साल जनवरी में अपने 90वें जन्मदिन पर ये शेर पढ़ते हुए कहा था कि उम्र तो महज एक आंकड़ा है और अभी मुझे बहुत कुछ करना है लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उनका सबसे बड़ा योगदान शास्त्रीय संगीत को जनता के लिए सरल और सहज बनाना रहा, जिससे उसकी लोकप्रियता बढ़ी।
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पद्म विभूषण पंडित जसराज का अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने आवास पर सोमवार की सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

करताल

करताल में दस इंच व्यास के दो चपटे व गोलाकार प्याले होते हैं। इन प्यालों के बीच का हिस्सा उपर की ओर उभरा रहता है। उभरे हिस्से के बीच में छेद होता है। छेद में रस्सी पिरो दी जाती है। रस्सियों को हाथों की उंगलियों में फंसाकर दोनों प्यालों से ताली बजाने की तर्ज पर एक-दूसरे पर चोट की जाती है।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय