சாரங்கி மேஸ்ட்ரோ பண்டிட் பாரத பூஷன் கோஸ்வாமி

On the horizon of Indian Classical Music Pt. Bharat Bhushan Goswami is one of the Leading Artists born on 25th Dec 1955. Pt. Bharat Bhushan Goswami is Grandson of Pt. Anmol Chand Goswami,” A Singer of traditional Havelli Sangeet related to the temple of Radha Rani at Barsana, (Mathura)”. He had his initial training in Vocal Music being inspired by his Grandfather. Afterwards he became interested in Sarangi and was guided by Pt. Kanhaiya Lal Ji of Mathura.

తబలా మాస్ట్రో మరియు గురు పండిట్ శంఖ ఛటర్జీ

Pandit Sankha Chatterjee (born 25 December 1934) is an Indian Tabla Maestro. He studied under three traditional Tabla Gharana (Farrukhabad, Punjab and Delhi) in strict Parampara tradition.

తుంబురు, సంగీతకారుడు మరియు దేవతల గాయకుడు

हिन्दू पौराणिक कथाओं में तुम्बुरु गायकों में सर्वश्रेष्ठ और गंधर्वों के महान संगीतकार हैं। उन्होंने दिव्य देवताओं के दरबार के लिए संगीत और गीतों की रचना की थी। पुराणों में तुम्बरू या तुम्बुरु को ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी प्रभा के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है।

तुम्बरू को अक्सर गंधर्वों में सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है। वह देवताओं की उपस्थिति में गाता है। नारद के समान, उन्हें गीतों का राजा भी माना जाता है। प्राचीन पुराणों के अनुसार, नारद को तुम्बुरु का शिक्षक माना जाता है। कहा जाता है कि नारद और तुम्बुरु भगवान विष्णु की महिमा गाते हैं।

అమీర్ ఖుస్రో జీవిత చరిత్ర

अबुल हसन अमीर ख़ुसरु चौदहवीं सदी के आसपास दिल्ली के पास रहने वाले एक प्रमुख कवि (शायर), गायक और संगीतकार थे। खुसरो को हिन्दुस्तानी खड़ीबोली का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है।किसके द्वारा? वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा को हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है।

आरंभिक जीवन :

తాన్సేన్

तानसेन का जन्म सन् 1506 में हुआ था. जिनका नाम तब तन्ना पड़ा था. संगीत का और ज्ञान अर्जित करने के लिए उन्हें स्वामी जी ने हजरत मुहम्मद गौस के पास ग्वालियर भेज दिया. संगीत का पर्याप्त ज्ञान अर्जित करने के बाद तानसेन पुनः स्वामी हरिदास के पास मथुरा लौट आये. यहाँ उन्होंने स्वामी जी से ‘नाद’ विद्या सीखी. अब तक तानसेन को संगीत में अद्भुत सफलता मिल चुकी थी. इनके संगीत से प्रभावित होकर रीवां – नरेश ने इन्हें अपने दरबार का मुख्य गायक बना दिया. रीवां – नरेश के यहाँ अकबर को तानसेन का संगीत सुनने का अवसर मिला.

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय